देहरादून

सड़क किनारे एक एक्सीडेंट स्थल पर खुली लेस वाला जूता देख उत्तराखंड़ पुलिस के सब इंस्पेक्टर का दिमाग घूमा। एक्सीडेंट में किसी के खाई में गिर जाने की सूचना थी। अगर कोई खाई में गिरा तो उसका जूत सड़क किनारे कैसे हो सकता है वह भी लेस खुली हुई। इसी संदेह को दिमाग में लेकर इनवेस्टिगेशन करते हुए सब इंस्पेक्टर ने रूद्रप्रयाग जिले का एक महिला के बहुचर्चित ब्लाइंड मर्डर का खुलासा कर दिया। एविडेंस इस तरह से कलेक्ट कर कड़ी से कड़ी जोड़ी की डेढ़ वर्ष के मामूली समय में ही हत्यारों को कोर्ट ने फांसी की सजा सुना दी। ब्लाइंड मर्डर की शानदार इनवेस्टिगेशन कर आरोपियों को फांसी की सजा दिलाने वाले उत्तराखंड पुलिस के सब इंस्पेक्टर जहांगीर अली को केन्द्रीय गृह मंत्रालय ने बेस्ट इनवेस्टिगेशन ऑफिसर चुना है। उसे 15 अगस्त को दिल्ली में सम्मानित किया जाएगा। यह उत्तराखंड के लिए गौरव की बात है, डीजीपी अनिल रतूडी समेत अन्य पुलिस अधिकारियों ने उसे बधाई दी है।

ब्लाइंड मर्डर में एक्सीडेंटल एविडेंस:

4-5 अप्रैल 2017 की मध्य रात्रि रूद्रप्रयाग के कोतवाली थाना इलाके केराजस्व क्षेत्र के कोटबांगर में 44 वर्षीय सरोजनी का मर्डर हुआ था। गला घोंट कर हत्या के बाद शव को जलाकर गाड दिया था। तीन दिन लगातार बारिश के बाद शव बरामद हुआ, मौके से कोई साक्ष्य नहीं मिला था। रेवेन्यू पुलिस कोई अहम साक्ष्य नहीं जुटा पायी और बाद में एसआई जहांगीर अली को जांच मिली। घर परिवार और आसपास वाले कुछ मजदूरों और एक स्थानीय युवक पर संदेह जता रहे थे। एसआई जहांगीर ने एक चाय की दुकान पर बैठे बातचीत में मर्डर वाली घटना से कुछ दिन पहले बाइक पर दो युवकों के हेलमेट लगाकर गांव में आने की बात सुनी। पड़ताल की तो पता चला दूर के रिश्ते में कोई महिला से बेटे की जन्म कुंडली लेने आया था और चला भी गया था, लेकिन यह भी पता नहीं चला कि दूर का रिश्तेदार कौन था।

मोबाइल कॉल डिटेल से लगा पहला सुराग:

गांव के एक दुकान वाले से युवकों ने महिला का पता पूछा था। दुकान वाले ने महिला को कॉल कर रिश्तेदार आने की सूचना दी थी। ऐसे में पुलिस को संदिग्ध युवकों के गांव आने की डेट पता चली। उस डेट को गांव के आसपास लगे मोबाइल टावर्स से कॉल हिस्ट्री और नेटवर्क में आए नंबर्स की डिटेल हासिल की गई। हजारों नंबर्स की लोकेशन में से एक नंबर पकड़ा जो महिला के घर,दुकान और बस स्टेड पर एक ही दिन नेटवर्क में आया। इसी नंबर से पुलिस एक आपराधिक पृष्ठभूमि के युवक तक पहुंची, युवक से पूछताछ की तो उसने खुदकुशी कर लेने की धमकी दी। पुलिस पीछे हट गई, लेकिन निगरानी जारी रखी।

एक्सीडेंट प्लेस पर जूते से खुली वारदात:

कुछ दिन बाद कर्णप्रयाग के पास एक बाइक खाई में गिरने और दो युवकों की मौत की सूचना पर एसआई जहांगीर मौके पर पहुंचे। शक था कि जांच से डरकर संदिग्ध युवक ने खुदकुशी तो नहीं कर ली। खाई इनती गहरी थी, लोगों ने कहा डेड बॉडी भी नहीं मिली, लेकिन पुलिस को मौके पर एक खुले लेस का डीएमएस बूट मिला। शक पैदा हुआ कि बूट अपने आप कैसे खुला.कहीं सूसाइड की फेक कहानी तो नहीं गढी गई। इस पर जांच आगे बढ़ाई, संदिग्ध के दोस्तों को पकड़ा और पूछताछ की तो सूसाइड का नाटक सामने आया। लूट के लिए महिला का मर्डर करना कबूल किया।

तत्कालीन एसपी की नजर से बनी नजीर: जांच अधिकारी जहांगीर ने बताया कि एसपी प्रहलाद मीना को जब केस में संदिग्ध एविडेंस बताए तो उन्होंने स्पेशल फोकस और इनवेस्टिगेशन पर बारीकी से नजर रखी। ऐसे में समय से मोबाइल कॉल डिटेल और दूसरे मजबूत सबूत भी केस में शामिल किए। एक भी गवाह न होने के बावजूद साइंटिफिक और तकनीकी सबूत के आधार पर जहांगीर ने महज डेढ़ माह के भीतर मुकदमे में चार्जशीट भी लगा दी थी। इस मामले की संवेदनशीलता यह रही कि कोर्ट ने भी महज 20 माह में हत्यारे मुकेश थपलियाल, सत्येश कुमार उर्फ सोनू को फांसी की सजा सुनाई है। जबकि लूट का सामान खरीदने वाले सुनारों अवधेश शाह एवं राजेश रस्तोगी को तीन वर्ष के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। गृह मंत्रालय ने जहांगीर अली की विवेचना को पुलिस विभाग के लिए नजीर बताते हुए दूसरे विवेचकों को इससे सीख लेने की जरूरत बताई। इस पर गृह मंत्रालय ने जहांगीर को देश के अन्य विवेचकों में बेस्ट इंवेस्टीगेशन अफसर चुनते हुए गृह मंत्री के अवॉर्ड की घोषणा की है।