देहरादून (ब्यूरो) बड़े बांधों के विरोध के चलते देशभर में सोलर पावर के क्षेत्र में संभावनाएं तलाशी जा रही हैं, लेकिन राज्य में यह संभावनाएं दूर-दूर तक कहीं दिखाई नहीं दे रही हैं। 2012 तक राज्य में 5 मेगावाट सोलर एनर्जी उत्पादित की जा रही थी, 2012 से 2015 तक इसमें एक मेगावाट का भी इजाफा नहीं हुआ। 2016 में केंद्र की रूफ टॉप स्कीम के बाद इसमें बड़ा उछाल आया, लेकिन योजना में भारी धांधली के चलते तीन साल में स्कीम बंद हो गई। उसके बाद राज्य में सोलर इनर्जी का प्रोडक्शन जहां का तहां अटका हुआ है। हालांकि अब रूफ टॉफ प्लांट््स में भारी सब्सिडी देकर योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है।

कॉमर्शियल भवन भी होंगे शामिल
अब नई बिल्डिंग के नक्शा स्वीकृति के दौरान सोलर पावर एनर्जी का प्रावधान करना जरूरी होगा। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सभी प्राधिकरणों को नक्शा पास करते समय इसका अनुपालन कराने के निर्देश दिए। सीएम ने सभी सरकारी कार्यालयों में सोलर पैनल अनिवार्य रूप से लगाने के निर्देश दिए हैं। बड़े व्यावसायिक भवनों में भी सोलर प्लांट्स लगाना अनिवार्य किया जा रहा है। इस संबंध में रूपरेखा तैयार की जा रही है।

रूफ टॉप स्कीम घपले ने रोकी रफ्तार
केंद्र सरकार ने वर्ष 2016 में राज्य में रूफ टॉप सोलर स्कमी के तहत करीब 100 करोड़ के ऊर्जा प्लांट लगाने की स्वीकृति दी, लेकिन उरेडा के अधिकारियों ने इसमें भारी धांधली की। योजना के तहत लाभार्थियों को छतों पर 500 किलोवाट क्षमता तक के पावर प्लांट लगाने थे। इसमें लाभार्थियों को 70 फीसदी सब्सिडी थी, लेकिन अधिकारियों ने मिलीभगत करके चहेतों के नाम पर फर्जी प्लांट दिखाकर करोड़ों की सब्सिडी डकारी। जांच के बाद मामला सामने आने पर केंद्र ने 2019 में केंद्र सरकार ने योजना को बंद कर दिया। तब से लेकर आज एक भी नया पावर प्लांट नहीं लगा।

20 हजार मेगावाट कैपेसिटी
राज्य में करीब 20 हजार मेगावाट सोलर एनर्जी प्रोडक्शन की कैपेसिटी है, लेकिन पिछले 22 वर्षों में सोलर पावर प्लांटों से महज 460 मेगावाट बिजली का ही उत्पादन हो पा रहा है। सोलर एनर्जी का का यह आंकड़ा चिंताजनक है। इसे देखते हुए सरकार सरकारी कार्यालयों की छतों पर सोलर पैनल लगाकर लोगों को इसके लिए प्रोत्साहित करेगी।

डिमांड और उपलब्धता में अंतर
राज्य में बिजली की डिमांड और उपलब्धता में करीब 6 मिलियन यूनिट का अंतर है। राज्य का अपना प्रोडक्शन 9 से 10 एमयू तक है। हालांकि बरसात में यह 25 एमयू तक चले जाता है। जैसे-जैसे तापमान आसमान छू रहा है वैसे-वैसे मांग बढ़ती जा रही है। मई-जून में पिछले डिमांड 53 एमयू तक चले गई थी, इस बार इसके 55 एमयू तक छूने का अनुमान है। ऐसे में भविष्य में बिजली की आपूर्ति काफी परेशानी का सबब बन सकती है।

बिजली की डिमांड लगातार तेजी से बढ़ रही है। सरकारी कार्यालयों में सोलर प्लांट््स लगाकर इसमें कमी लाई जा सकती है। इसके लिए अफसरों को कार्ययोजना बनाने के निर्देश दिए जा रहे हैं। जल्द ही योजना पर काम शुरू किया जाएगा।
राधा रतूड़ी, चीफ सेक्रेटरी

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