देहरादून (ब्यूरो) पुलिस लाइन में आयोजित किए गए पुलिस स्मृति दिवस कार्यक्रम में राजपात्रित पुलिस अधिकारियों का वार्षिक स्वास्थ्य परीक्षण और पुलिस विभाग में मृतक आश्रितों की भर्ती संबंधी अड़चनों को दूर करने की बात भी सीएम ने कही। इस दौरान उन्होंने कहा कि उत्तराखंड की सीमाएं दो देशों व दो राज्यों से मिलती हैं। अंतरराष्ट्रीय सीमा होने के चलते उत्तराखंड बेहद संवेदनशील है। यहां की आंतरिक सुरक्षा और कानून व्यवस्था को बनाए रखने की जिम्मेदारी अद्र्धसैनिक बलों और पुलिस की है। पुलिसकर्मी अपने उत्तरदायित्व को निभाने के लिए हर वक्त जीवन की आहूति देने के लिए तत्पर रहते हैं। कर्तव्यों के पालन में कई पुलिसकर्मी अपनी जान तक गवां देते हैं। सरकार की ओर से उनके परिजनों को त्वरित रूप से एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जाती है, पर कई बार इस प्रक्रिया में देरी हो जाती है। यह धनराशि तत्काल मिले, इसके लिए पुलिस बलिदान कल्याण कोष में दो करोड़ रुपये अब हर समय रहेंगे। रिजर्व पुलिस लाइन में आयोजित पुलिस स्मृति दिवस परेड के अवसर पर सीएम पुष्कर ङ्क्षसह धामी ने बलिदान पुलिसकर्मियों के परिजनों को सम्मानित किया। उन्होंने इस वर्ष ड्यूटी के दौरान बलिदान हुए पुलिस के जवानों समेत देश के 188 पुलिसकर्मियों को श्रद्धांजलि अर्पित की।

इसलिये मनाते हैैं स्मृति दिवस
स्मृति दिवस पर डीजीपी अशोक कुमार ने बताया कि 21 अक्टूबर का दिन राज्य पुलिस बलों, केंद्रीय सशस्त्र बलों व सभी केंद्रीय पुलिस संगठनों के लिए अहम दिन है। 21 अक्टूबर 1959 को भारत की उत्तरी सीमा पर लद्दाख के 16 हजार फीट ऊंचे बर्फीले और दुर्गम क्षेत्र हाटस्प्रिंग में सीआरपीएफ की एक गश्ती टुकड़ी के 10 बहादुर जवानों ने एसआई करन ङ्क्षसह के नेतृत्व में चीनी सेना से लोहा लिया और बहादुरी से लड़ते हुए अपनी मातृभूमि की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। इन्हीं वीर सपूतों के बलिदान की स्मृति में प्रत्येक वर्ष पूरे देश में 21 अक्टूबर को पुलिस स्मृति दिवस मनाया जाता है।

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