देहरादून (ब्यूरो) : एडीजी की ओर से की गई समीक्षा के बाद जानकारी मिली कि पिछले सालों में अपराधियों की गिरफ्तारी व अन्य सरकारी कार्य के दौरान पुलिस पर फायङ्क्षरग की करीब 27 घटनाएं हुई। इन घटनाओं में 5 पुलिसकर्मी चोटिल हुए। इसी प्रकार थाना रायपुर जनपद दून से संबंधित मुकदमे में बदमाश की गिरफ्तारी करने मसूरी पहुंची चार सदस्यीय पुलिस टीम में से एक चौकी प्रभारी पर फायर करने की घटना में यदि पूर्ण तैयारी व सतर्कता से दबिश दी जाती तो पुलिस पर हुई फायर की घटना को रोका जा सकता था। मौके पर ही अभियुक्त गिरफ्तार भी किया जा सकता था।

एडीजी ने दिए दिशा निर्देश

- सभी अस्त्र व शस्त्र हैंडङ्क्षलग का प्रशिक्षण पुलिस लाइन व थानों में नियुक्त कर्मचारियों को नियमित रूप से दिया जाए तथा इसमें अच्छा हैंडङ्क्षलग करने वाले कार्मिकों को पुरस्कृत किया जाए।
- आवश्यक रूप से सभी कार्मिकों को वार्षिक फायङ्क्षरग भी कराई जाए।
- पुलिस लाइन व थानों में नियुक्त कार्मिकों के अनुशासन तथा शारीरिक एवं मानसिक स्वस्थता पर ध्यान दिया जाए।
- दबिश में रवाना होने से पूर्व यह भी सुनिश्चित करें कि असलहा एवं कारतूस चालू स्थिति में हैं।
- वांछित अपराधी के आपराधिक इतिहास के आधार पर टीम को दबिश के लिए रवाना करें।
- यदि वांछित अपराधी की गिरफ्तारी के लिए अन्य थाना क्षेत्र में दबिश दी जानी हो तो संबंधित थाना प्रभारी एवं पर्यवेक्षण अधिकारी से भी समन्वय कर स्थानीय पुलिस की मदद ली जाए।

दबिश से पहले करनी होगी तैयारी

आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए दबिश से पहले पर्यवेक्षण अधिकारी सहित उच्चाधिकारियों को तत्काल सूचित किया जाए। आवश्यक पुलिस बल को शार्ट रेंज व लांग रेंज असलहों व बुलेट प्रुफ जैकेट के साथ ही दबिश के लिए रवाना किया जाए। टीम में कम से कम चार सदस्य आवश्यकतानुसार पुलिस उपाधीक्षक, निरीक्षक व उप निरीक्षक के नेतृत्व में रखे जाएं।

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