देहरादून ब्यूरो। दून में स्ट्रीट लाइट का मेंटेनेंस देख रही कंपनी ईईएसएल के नंबर पर एक व्यक्ति ने चार दिन पहले स्ट्रीट लाइट खराब होने के कंप्लेंन लिखवाई। चार दिन बाद भी जब स्ट्रीट लाइट ठीक करने कोई नहीं आया तो शिकायतकर्ता ने फिर ने फोन किया। पूछा गया कि कंप्लेन कब की थी। जब बताया गया कि चार दिन पहले तो उत्तर मिला। अभी 8 दिन पहले की कंप्लेन अंटेंड हो रही है। शिकायतकर्ता ने जब पूछा कि स्ट्रीट लाइट बंद रहने से चोरों के साथ सांपों का खतरा तो कंपनी के कर्मचारी ने कहा रोज 6 सौ से ज्यादा कंप्लेन आ रही हैं। ऐसे में टाइम तो लगेगा ही। रोज 6 सौ से ज्यादा शिकायतें और 8 दिन का बैकलॉग जोड़ दिया जाय तो रोज सिटी की 48 सौ से ज्यादा लाइट बंद हैं। हालांकि जब दैनिक जागरण आई नेक्स्ट ने कंपनी के नगर निगम स्थित ऑफिस जाकर रोज मिलने वाली कंप्लेन के बारे में जानकारी लेनी चाही तो 200 बताई गई।

निगम के अधिकारी कहां बिजी हैं
एक खास बात यह है कि स्ट्रीट लाइट को लेकर नगर निगम के अधिकारी कोई बात करने के लिए तैयार नहीं हैं। निगम में रंजीत राणा को स्ट्रीट लाइट को नोडल अधिकारी बनाया गया है। कई बार फोन करने के बाद भी जब उन्होंने फोन तो नगर निगम मुख्यालय में उनसे संपर्क करने का प्रयास किया गया। वे अपनी सीट पर नहीं मिले। इधर-उधर तशालने के बाद मिले तो किसी सवाल को उन्होंने संतोषजनक तरीके से जवाब नहीं दिया। जब पूछा गया कि क्या नगर निगम मॉनीटरिंग कर रहा है कि ठेकेदार कंपनी मेंटेनेंस का काम ठीक से कर रही है या नहीं तो उनका जवाब था, कमिश्नर से पूछ लो।

ज्यादातर सड़कें अंधेरे में
ईईएसएल कंपनी के गणित के अनुसार बेशक बंद पड़ी रहने वाली स्ट्रीट लाइट की संख्या 5 हजार के करीब हो, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कई ज्यादा होने की संभावना है। मिड सिटी में कई ऐसी मुख्य सड़कें हैं, जो अंधेरे में डूबी रहती हैं।