देहरादून (ब्यूरो) : दून में डिजिटल मास्टर प्लान-2041 को लेकर तेजी से कसरत हो रही है। शहरी और ग्राम नियोजक विभाग और एमडीडीए मास्टर प्लान पर जोनवाइज शिकायतों की सुनवाई कर रहा है। मास्टर प्लान को फाइनल टच देने से पहले पब्लिक से आई करीब 800 आपत्तियों का निस्तारण होना है। आपत्तियों के निस्तारण के बाद ही मास्टर प्लान को फाइनलाइज किया जाएगा। खास बात यह है कि डिजिल मास्टर प्लान के ड्राफ्ट पर करीब 800 लोगों ने आपत्तियां दर्ज कराई है, लेकिन पब्लिक सुझाव एक भी आया है। सर्वाधिक आपत्तियां व्यक्तिगत है।

रोड की चौड़ाई पर ज्यादा चिंता

मास्टर प्लान के ड्राफ्ट को लेकर मांगी गई आपत्तियों में सर्वाधिक आपत्तियां सड़कों को लेकर है। कहीं सड़कों की चौड़ाई कम करने, तो कहीं सड़कों के एलाइनमेंट को लेकर आपत्तियां लगाई गई है। एमडीडीए और टाउन प्लानिंग डिपार्टमेंट की ओर से आपत्तियों की सुनवाई के दौरान डेवलपमेंट से ज्यादा सड़कों की चौड़ाई कम करने को लेकर आपत्तियां आई है। विभाग का कहना है कि लोगों ने व्यक्तिगत आपत्तियां लगाई है। सुझाव न के बारबर पहुंचे हैं।

फिर दे सकते सुझाव


डिजिटल मास्टर प्लान-2041 को फाइनल करने से पहले पब्लिक से सुझाव मांगे थे, लोगों ने व्यक्तिगत आपत्तियां दर्ज कर दी। चिंता इस बात की है कि पब्लिक के मुद्दों को लेकर सड़क पर उतरने वाले तमाम सामाजिक संगठन और राजनीतिक पार्टियां किसी ने भी पब्लिक हित में एक भी सुझाव नहीं दिया है। एमडीडीए और शहरी व ग्राम नियोजक विभाग ने एक बार फिर मास्टर प्लान को लेकर ग्रुप सुझाव देने की बात कही है। कहां पर पार्क बनने चाहिए, कहां ग्रीन एरिया छोड़ा जाना चाहिए, कहां आवासीय और कृषि छोड़ा जाना चाहिए। सड़कों की चौड़ाई कहां कितनी होनी चाहिए। व्यवसायिक गतिविधियों के लिए कौन से एरिया उपयोगी है। कहां डेवलपमेंट की ज्यादा गुंजाइशें हैं। इन तमाम सुझावों को मास्टर प्लान में शामिल किया जाएगा।

अनियोजित डेवलपमेंट पर अंकुश

सिटी में सड़कों का विस्तार हो रहा है। सड़क किनारे हरे-भरे पेड़ों को काटा जा रहा है। आवासीय प्लॉटिंग के नाम पर आम-लीची के सैकड़ों बाग काट कर आवासीय भवनों के लिए प्लॉटिंग की जा रही है। एक्ट बनने के बाद भी अवैध प्लॉटिंग पर रोक नहीं लग पाई है। आज शहर में आम-लीची के गिने-चुने पेड़ ही दिखाई देते हैं। खेती की जमीनों पर बड़ी-बड़ी बिल्डिंग्स उग आई है। सवाल यह है कि क्या डिजिटल मास्टर प्लान के बाद इलीगल कंस्ट्रक्शन पर अंकुश लग पाएगा।

55 परसेंट हरियाली गायब

दून किस तरह कंक्रीट के जंगल में तब्दील हो रहा है कि इसकी तस्दीक खुद आंकड़े कर रहे हैं। 2005 में जब दून का पहला मास्टर प्लान बनाया गया, तब हरियाली 60 परसेंट थी। यानि 40 परसेंट पर ही कंस्ट्रक्शन था, लेकिन 2024 आते-आते हरियाली महज 5 परसेंट रह गई है। यह बात डिजिटल मास्टर प्लान के सर्वे में सामने आई है। दून में लगातार आवासीय और गैर आवासीय भवनों का निर्माण हो रहा है। सुंदर दून, हरित दून का नारा अब सिर्फ नारों में ही देखने को मिल रहा है। जमीनी हकीकत यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद शहर में ग्रीन एरिया का दायरा घटता जा रहा है। राजधानी बनने के बाद आवासीय प्लॉटिँग के लिए पेड़ों का अंधाधुंध कटान शुरू हुआ। कृषि भूमि पर बड़ी संख्या में प्लॉटिंग से हरियाली को नष्ट करने का धंधा लगातार जारी है। बताया जा रहा कि डिजिटल मास्टर प्लान पर कंट्रोल करने में मद्दगार साबित होगा।

ये है शहर की वर्तमान स्थिति

(आंकड़े परसेंट में)
58.43 - एरिया आवासीय
9.33 - मिक्स एरिया
4 - कॉमर्शियल एरिया
1 - इंडस्ट्रियल एरिया
9.42 - एजुकेशन व हेल्थ
5.98 - ग्रीन एरिया
11 - सड़कें

डिजिटल मास्टर प्लान पर एक नजर

-37800 हेक्टेयर है टोटल मास्टर प्लान का एरिया
-17916 हेक्टेयर हो गया है डेवलप
-6952 हेक्टेयर एरिया खाली
-9872 हेक्टेयर बचा है फॉरेस्ट एरिया
-3059 हेक्टेयर में है कैंटोनमेंट बोर्ड

मास्टर प्लान की खास बातें

- अनडेवलप्ड जमीन का नहीं बदलेगा स्वरूप
- मास्टर प्लान लागू होने के बाद वेब पोर्टल किया जाएगा तैयार
- अधिक से अधिक लोगों को लाभ मिले, इसके लिए मोबाइल एप्लीकेशन बनेगा।
- 2041 तक के लिए बनने वाला मास्टर प्लान समय-समय होगा रिब्यू
- नए मास्टर प्लान में नदी-नालों और नहरों के संरक्षण को किया गया स्पष्ट सीमांकन
- नदी-नालों पर कब्जे रोकने के लिए बफर जोन भी किए गए हैं चिन्हित
- जमीन की धोखाधड़ी रोकने को खसरा नंबर सेटेलाइट मैप से सुपरइंपोज

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