देहरादून (ब्यूरो)
आरोपी अजय मोहन पालीवाल का चेंबर सी-35 मुजफ्फरनगर स्थित कचहरी में है। उसने वर्ष 1988 से हस्ताक्षर मिलान व हस्तलेख मिलान का काम निजी तौर पर शुरू किया था। पहले वह सुभाष विरमानी के लिए हस्ताक्षर मिलान का काम करता था। इसके बाद अधिवक्ता कमल विरमानी का काम भी रोहताश के माध्यम से उसके पास आने लगा। आरोपी अजय मोहन पालीवाल हस्तलेख, हस्ताक्षर विशेषज्ञ था, इसलिए कंवरपाल सिंह व ओमवीर तोमर ने उसे फर्जी दस्तावेज तैयार करने के एवज में मोटी रकम देने की बात कही थी। कुंवरपाल व उसके अन्य साथी ठेकेदारी के टेंडर के साथ दाखिल स्टांप पेपरों को संबंधित कार्यालयों से प्राप्त करते थे। इन स्टांप पेपरों में बहुत कम लाइनें लिखी होती थीं। आरोपी इन लाइनों को कार्यालय की विनिष्टीकरण की कार्यवाही में हटाकर नमक के तेजाब से धुलकर पेपर को कोरा बना देते थे।

करते थे जुगाड़
इसके लिए बहुत पुराने मोटे कागजों को गीली रुई से रगड़ते थे, जिससे स्याही कागज की पतली परत के साथ उतर जाती थी और कागज कोरा हो जाता था। इसके बाद स्केच पेन को गीला कर उन्हीं लाइनों के ऊपर नई लाइन लिख देते थे व अधिकारियों के हस्ताक्षर स्कैन कर कागज पर छापते थे। आरोपी अजय मोहन पालीवाल ने इसी तरह रक्षा सेन, फरखंदा रहमान, राजेंद्र सिंह, त्रिभुवन, दीपांकर नेगी, मांगेराम, प्रेमलाल, रामनाथ, रामचंद्र, पदमा कुमारी, मोती लाल, चंद्र बहादुर सिंह, गोवर्धन, सुभाष, रवि मित्तल, जगमोहन सहित कुछ अन्य जमीनों के फर्जी बैनामे व विलेख वसीयतें तैयार की थीं। ये जमीनें रायपुर, चकरायपुर, जाखन, राजपुर रोड, क्लेमेनटाउन, ब्राह्मणवाला, रैनापुर, नवादा आदि जगहों पर हैं।

मिला कई लाख का ट्रांजेक्शन
इसके अलावा आरोपी अजय मोहन पालीवाल ने क्लेमेंटटाउन स्थित डीके मित्तल, शीला मित्तल वाली फर्जी वसीयत भी तैयार की थी। पुलिस जांच में वर्ष 2021-22 में कुंवरपाल के बैंक खाते से अजय मोहन पालीवाल के बैंक खाते में फर्जी अभिलेख तैयार करने की एवज में कई लाख रुपये का लेन-देन होना पाया गया है। प्रकरण में अब तक पुलिस 13 आरोपीों को गिरफ्तार कर चुकी है।