DEHRADUN: चमोली व रुद्रप्रयाग के जिला अस्पतालों में अज्ञात शवों को रखने के लिए डीप फ्रीजर की कमी को देखते हुए इन्हें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और एम्स अस्पताल में रखा जाएगा। 72 घंटे की अवधि पूरी होने के बाद इनका डीएनए सैंपल लेकर अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा। चमोली में आई आपदा के बाद अलकनंदा एवं उसकी सहायक नदियों में शवों का मिलना जारी है। चमोली जिले से लेकर रुद्रप्रयाग और पौड़ी जिले में भी इन नदियों में शव व मानव अंग लगातार मिल रहे हैं। आपदा में लापता कुल 204 व्यक्तियों में से अभी तक 38 के शव मिल चुके हैं। इनमें 10 की पहचान हो चुकी है। शेष शव अज्ञात हैं। शव मिलने के बाद उन्हें अलग-अलग अस्पतालों में रखा जा रहा है। इसमें सबसे बड़ी चुनौती अज्ञात शवों को रखना है। दरअसल, जो शव अब मिल रहे हैं वे काफी दिन पुराने हो चुके हैं। अब इन्हें पहचान के लिए 72 घंटे तक अस्पतालों में रखना है। यह शव तभी सही तरीके से अस्पतालों में रखे जा सकते हैं जब इसके लिए डीप फ्रीजर हों। इस लिहाज से देखें तो चमोली जिले में कुल दस डीप फ्रीजर हैं। इनमें जिला अस्पताल में छह, जोशीमठ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो व कर्णप्रयाग सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में दो डीप फ्रीजर हैं। ऐसे में ज्यादा शव मिलने की सूरत में इनके खराब होने का खतरा भी बन रहा है। बीते दिनों स्थिति यह थी कि चमोली के इन अस्पतालों में 14 शव थे। अब इनमें से अधिकांश का अंतिम संस्कार कर दिया गया है। हालांकि, अब इसे देखते हुए वैकल्पिक व्यवस्था भी बना ली गई है। सचिव स्वास्थ्य अमित नेगी का कहना है इस पहलू पर पहले ही विचार कर लिया गया है। यदि शवों की संख्या अधिक होती है तो फिर इन्हें श्रीनगर मेडिकल कॉलेज और एम्स ऋषिकेश में रखने की व्यवस्था बनाई गई है। तीन दिन तक रखने के पश्चात इनका डीएनए सैंपल लेकर इनका अंतिम संस्कार कर दिया जाएगा।