-लाखों की एंबुलेस को कर दिया कबाड़

-मैनेजमेंट ने कई बार दिया है स्पष्टीकरण

देहरादून। उत्तराखंड के सबसे बड़े हॉस्पिटल दून मेडिकल कॉलेज चिकित्सालय एक एंबुलेंस को चारदीवार में बंद कर कंडम कर दिया हैं। यह लापरवाही है या फिर सोची समझी साजिश जो लाखों रुपए की गाड़ी को चार दीवारों के बीच में ही फंसा दिया। हालांकि हॉस्पिटल प्रबंधन इसे पुराना मामला बताते हुए पल्ला झाड़ रहे हैं। चारों तरफ बिल्डिंग होने से अब इसे बाहर निकालने का रास्ता नहीं हैं। जानकारों के अनुसार जब यह वैन फंसी थी तब इसकी हालत यह नहीं थी। अब यह कबाड़ के लायक भी नहीं बची है। यह लम्बे समय से एक ही जगह पर खड़ी हैं और इसमें जंग भी लग गई है।

यह है मामला

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार दून हॉस्पिटल के टीबी-चेस्ट वार्ड बनाने के दौरान ठेकेदार ने कई बार इस वैन का यहां से हटाने को कहा था। लेकिन किसी भी अधिकारी ने जब इसका जबाव नहीं दिया तो निर्माण एजेंसी ने यहां पर दीवार बना दी। हालांकि कई बार मामला उठा तो हॉस्पिटल मैनेजमेंट इस मामले में अपनी गलती मानने से इंकार कर रहा हैं।

लापरवाही बनी कंडम गाड़ी का कारण

दून हॉस्पिटल प्रबंधन की लापरवाही के कारण लाखों रुपये की खरीदी गई जिप्सी कंडम हालत में पहुंच गई हैं। जानकारी के अनुसार बीते पांच साल पहले दून हॉस्टिपल में टीबी और चेस्ट वार्ड बनाया गया था। इस दौरान यहां पर हॉस्पिटल में इस्तेमाल होने वाली एंबुलेंस जिप्सी खड़ी थी। कई दिन तक ठेकेदार गाड़ी हटाने की डिमांड करता रहा। कंपनी को भी उसने कई बार पत्र भेजा लेकिन इसके बाद जब कई दिन तक जवाब नहीं मिला तो निर्माण एजेंसी ने यहां पर दीवार खड़ी कर दी।

एक तरफ ऑर्थो ओपीडी है। एक तरफ ब्लड बैंक हैं। एक तरफ शौचालय और एक तरफ टीबी चेस्ट वार्ड हैं।

अब कबाड़ में भी नहीं बिकेगी एंबुलेंस

खुले में खड़ी इस एंबुलेंस के बार-बार बारिश में भीगने और एक ही जगह पर खड़े रहने के कारण यह केवल एक स्ट्रक्चर मात्र ही रह गई हैं। सवाल यह है कि अब इसे निकालें तो कैसे।

मामला पहुंचा सीएम तक

मामले की गंभीरता को देखते हुए पूर्व पार्षद अरुण ने इस मामले को डीएम के माध्यम से सीएम तक पहुंचाया हैं। उन्होंने इसे सीएम के ट्विटर अकांउट में भी ट्वीट कर दिया हैं।

प्रबंधन ने साधा मौन

हॉस्पिटल प्रबंधन ने यह मामला पुराना बताया और कहा कि इस मामले में पहले ही स्पष्टीकरण दिया जा चुका है। निर्माण कंपनी और अधिकारियों में वार्तालाप की कमी के चलते यह स्थिति बिगड़ी है।

यह व्हीकल बीते 6 साल से यहां बंद है। जहां तक हमें जानकारी मिली है कि तालमेल न होने के चलते यह स्थिति बनी है। इस विषय में प्रशासन को स्पष्टीकरण भी दिया गया हैं

डॉ। आशुतोष सयाना, प्रिंसिपल दून हॉस्पिटल