चमोली (देहरादून ब्यूरो/एएनआई)। विश्व प्रसिद्ध भू-वैकुंठ बदरीनाथ धाम के कपाट आज ग्रीष्मकाल के लिए खोल दिए गए हैं। मंदिर के कपाट धनिष्ठा नक्षत्र में सुबह 4.30 बजे खोले गए। कपाटोत्सव के लिए मंदिर को दस क्विंटल गेंदे के फूलों से डेकोरेट किया गया। गुरुवार को रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी की अगुआई में आदि शंकराचार्य की गद्दी व तेल कलश यात्रा के साथ भगवान नारायण के बालसखा उद्धवजी व देवताओं के खजांची कुबेरजी की डोलियां बदरीनाथ धाम पहुंची। लॉकडाउन के चलते कपाट खोलने के मौके पर सिर्फ 28 लोग ही मंदिर में प्रवेश कर सके। इस दौरान सोशल डिस्टेंसिंग का पूरा ध्यान रखा गया।

यात्रा में 25 लोग हुए शामिल

तेल कलश, शंकराचार्य गद्दी व उत्सव डोलियों के बदरीनाथ धाम पहुंचने से पूर्व सुबह धाम के मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी ने पांडुकेश्वर स्थित योग-ध्यान बदरी मंदिर में भगवान नारायण की पूजा-अर्चना की। फिर शीतकाल के लिए गर्भगृह में विराजमान उद्धवजी की भोग मूर्ति को मंदिर परिसर स्थित रावल निवास में लाया गया। जबकि, देवताओं के खजांची कुबेरजी की भोग मूर्ति को नंदा देवी मंदिर से योग-ध्यान बदरी मंदिर पहुंची। यहां से मुख्य पुजारी रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी व धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल की अगुआई में शंकराचार्य की गद्दी, तेल कलश व डोली यात्रा बदरीनाथ धाम के लिए रवाना हुई। यात्रा में 25 लोग शामिल थे। यात्रा के हनुमान चट्टी पहुंचने पर रावल ने हनुमानजी की पूजा-अर्चना की। यहां से डोली यात्रा बदरीनाथ स्थित अंतरराज्यीय बस अड्डे से अष्टाक्षरी क्षेत्र होते हुए बामणी गांव स्थित भगवान नारायण के अवतरण स्थल लीलाढुंगी और फिर पुराने बाजार के रास्ते मंदिर परिसर पहुंची। सिंहद्वार की सीढिय़ों में मत्था टेकने के बाद रावल ईश्वरी प्रसाद नंबूदरी उद्धवजी को गोद में अपने निवास स्थान तक ले गए। आज ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे कपाट खुलने पर उन्हें भगवान नारायण के साथ गर्भगृह में विराजमान किया गया।

उर्वशी मंदिर के भी खुले कपाट

बदरीनाथ मंदिर के पास बामणी गांव स्थित अप्सरा उर्वशी मंदिर के कपाट भी आज खोल दिए गए। कपाट खोलने के लिए मंदिर के पुजारी बामणी गांव पहुंच चुके थे। मंदिर के पुजारी गंभीर सिंह कन्नी ने गुरुवार को बताया था कि बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने के बाद उर्वशी मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। इसके साथ ही पंच बदरी में शामिल भगवान भविष्य बदरी धाम के कपाट भी आज ब्रह्ममुहूर्त में 4.30 बजे खोल दिए गए।