- कोरोना के चलते बग्वाल की औपचारिकता की गई पूरी

- रणबांकुरों ने एक दूसरे पर बरसाए फूल, फल और पत्थर, कोई भी योद्धा नहीं हुआ घायल

CHAMPAWAT: कोरोना के बीच रक्षाबंधन के दिन देवीधुरा में बग्वाल (मेला) की परंपरा इस बार भी नहीं टूटी। हालांकि प्रशासन और मंदिर समिति की बैठक में बग्वाल आयोजित न करने पर सहमति भी बनी थी, लेकिन खोलीखांड़ दुबाचौड़ मैदान की परिक्रमा के दौरान दोनों पक्षों के बग्वाली वीरों ने एक-दूसरे पर फल और फूलों के साथ पत्थर फेंककर परंपरा निभाने की औपचारिकता पूरी की। हालांकि इस बार दोनों पक्षों की ओर से कोई भी योद्धा घायल नहीं हुआ।

मां के जयकारे रहे गुंजायमान

सोमवार सुबह मां बाराही मंदिर में पूजा अर्चना के बाद खोलीखांड़ दुबचौड़ मैदान में चार खाम और सात थोकों के रणबांकुरों ने मां के जयकारे के साथ प्रवेश किया। सबसे पहले लमगडि़या खाम और उसके बाद चम्याल खाम के योद्धा मैदान में पहुंचे। तीसरे नंबर पर वालिक खाम और अंत में गहरवाल खाम के रणबांकुरे मैदान में आए। लमगडि़या और वालिक खाम के योद्धा एक तरफ तो दूसरी तरफ गहरवाल और चम्याल खाम के योद्धाओं ने मोर्चा संभाला। पुजारी का आदेश मिलते ही सुबह 11: 25 बजे मैदान की परिक्रमा शुरू हुई। कुछ पल बाद दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर फलों की बौछार शुरू कर दी। इस बीच दोनों छोर से कुछ पत्थर भी हवा में फेंके गए। पांच मिनट बाद 11:30 बजे पुजारी भुवन चंद्र जोशी ने शंखनाद कर बग्वाल रोकने का आदेश दिया। कुल मिलाकर इस बार बग्वाल की परंपरा निभाने की रस्म पूरी की गई।