- उत्तराखंड में फ्लोटिंग बाल मजदूर होने की वजह से नहीं मिल पाता डाटा

DEHRADUN: उत्तराखंड राज्य बाल आयोग के पास बाल मजदूरों का कोई डाटा ही नहीं है। यह बात गुरुवार को बाल आयोग की ओर से आयोजित कार्यक्रम में सामने आई। आयोग के अध्यक्ष से इस संबंध में सवाल किए गए तो उनका कहना था कि उत्तराखंड में फ्लोटिंग बाल मजदूर होने की वजह से यहां कोई डाटा ही नहीं जुट पाता है।

होटल-रेस्टोरेंट में करते हैं काम

उत्तराखंड में सबसे अधिक संख्या ऐसे बाल मजदूरों की है जो होटल और रेस्टोरेंट में काम करते हैं। इन जगहों पर अक्सर छोटे बच्चों को बर्तन धोते, चाय-खाना परोसते देखा जाता है। इसके बावजूद आयोग इन्हें रेस्क्यू नहीं कर पाता।

कबाड़ा बिनते दिखते हैं बच्चे

पूरे उत्तराखंड को छोड़ यदि दून की ही बात करें तो यहां अक्सर छोटे बच्चे कबाड़ा बिनते दिखाई देते हैं। लेकिन बाल आयोग की नजर इस ओर नहीं जाती। आयोग इन्हें फ्लोटिंग मजदूर बताते हुए पल्ला झाड़ लेता है।

कैसे हो गिनती

इस संबंध में जब आयोग के अध्यक्ष योगेश खंडूड़ी से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में बाल मजदूरों का डाटा अभी आयोग के पास नहीं है। इसके पीछे वजह ये है कि यहां फ्लोटिंग बाल मजूदर हैं जो आज यहां तो कल वहां काम करते मिलते हैं। ऐसे में उनकी गिनती कर पाना संभव नहीं हो पाता है।