देहरादून (ब्यूरो)। बीते 12 अप्रैल को सुंदरवाला रायपुर निवासी देव पाल सजवान ने थाना रायपुर में अज्ञात व्यक्तियों के खिलाफ 1.40 लाख रुपये की ठगी करने का केस दर्ज करवाया था। शिकायत में कहा गया था कि दुकान का पेटीएम स्कैनर ठीक कराने के नाम पर उसके मोबाइल का पेटीएम एप हैक कर उसके खाते से रकम अलग-अलग बैंक खातों में भेजी गई है। पुलिस ने तीन टीमों का गठन कर मामले की जांच शुरू की तो तीन लोगों के नाम सामने आये। तीनों से पुलिस ने थर्सडे को गिरफ्तार कर लिया।

ऐसे मिला बदमाशों का सुराग
पुलिस ने सबसे पहले घटनास्थल के आस-पास के 195 सीसीटीवी कैमरों की फुटेज चेक की। इन फुटेज में दुकान के आसपास दो संदिग्ध लोग घूमते दिखाई दिये। कुछ दूरी पर पेट्रोल पम्प के पास एक अन्य संदिग्ध स्कूटी के साथ दिखा। जांच में पता चला कि ये लोग स्कूटी पर आईएसबीटी पहुंचे थे। आईएसबीटी से एक व्यक्ति बस से और दो स्कूटी से सहारनपुर की तरफ गये। पुलिस ने देवबंद टोल टैक्स के कैमरों को चेक किया, जहां स्कूटी का नम्बर ट्रेस हो गया। यह नंबर दिल्ली का था। और गौरव निवासी मंडोली दिल्ली के नाम पर रजिस्टर्ड था। रजिस्ट्रेशन की डिटेल निकालने पर एक एक मोबाइल नंबर पर। मोबाइल नंबर वाले पते पर पुलिस टीम द्वारा दबिश दी गयी तो वहां कोई नहीं मिला। पुलिस जांच में यह बात भी सामने आई कि उक्त मोबाइल नंबर घटनास्थल के आसपास था। इस बीच पुलिस को सूचना मिला कि आरोपी एक और घटना को अंजाम देने के लिए फिर से देहरादून आ रहे हैं। पुलिस ने दिल्ली और हरिद्वार से देहरादून आने वाले रास्तों पर चेकिंग शुरू कर दी। थर्सडे को पुलिस ने घटना में शामिल तीनों आरोपियों को स्टेडियम तिराहा, थानो रोड से गिरफ्तार कर लिया।

ये आरोपी दबोचे
-गौरव पुत्र रामानंद निवासी मंडोली एक्सटेंशन, थाना हर्ष विहार, दिल्ली।
- हिमांशु पुत्र तेजपाल, निवासी मंडोली एक्सटेंशन, थाना हर्ष विहार, दिल्ली।
- सुशील कुमार पुत्र कालूराम निवासी सुभाष मोहल्ला गोंडा, थाना भजनपुर, दिल्ली।

सैटिंग बदलकर करते थे ठगी
पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे तीनों मार्केटिंग करने वाली एक कंपनी में काम करते थे। वहां सैलरी कम थी। तीनों नौकरी छोड़कर ऑनलाइन ठगी करने लगे। नौकरी के दौरान उन्होंने दुकानों में पेटीएम स्कैनर लगाने का काम सीखा था। उन्होंने अपने इसी हुनर को ठगी का जरिया बना दिया। पेटीएम लगाने या ठीक करने के नाम पर वे दुकानदार से उनका फोन ले लेते थे। सिम निकालकर अपने मोबाइल में डालकर दस नम्बर से अपने मोबाइल फोन में पेटीएम रजिस्टर्ड कर देते थे। दुकानदार की पेटीएम की प्रोफाइल सेंटिग में जाकर मैनेज नोटिफिकेशन का अर्लट बंद कर देते थे। इसके बाद सिम वापस दुकानदार के मोबाइल में डाल देते थे।

48 घंटे तक ठगी
आरोपियों ने पुलिस का यह भी बताया कि दुकानदार की सिम से रजिस्टर्ड पेटीएम 48 घंटे तक उनके फोन पर एक्टिव रहता है। इस दौरान वे दुकानदार के खाते में जमा पैसा अलग-अलग खातों में ट्रांसफर कर देते हैं। आरोपियों ने बताया कि वे दिल्ली से स्कूटी पर देहरादून आते हैं और ठगी करने के बाद वापस चले जाते हैं। 6 अप्रैल को उन्होंने लाडपुर में भी एक सब्जी वाले के साथ इसी तरह से ठगी की थी।

सतीश देता है खाता नंबर
आरोपियों ने बताया कि ठगी गई रकम वे अपने रिश्तेदारों, दोस्तों और दिल्ली में सतीश नाम के व्यक्ति द्वारा उपलब्ध करवाये गये खातों में जमा करवाते हैं। सतीश जीटीवी अस्पताल नंदनगरी दिल्ली में काम करता है। वह अपनी कमीशन काटकर बाकी रकम उन्हें लौटा देता है। आरोपियों ने हाल के दिना में देहरादून में दो जगह, रुड़की में एक जगह, दिल्ली में 3 जगह और गाजियाबाद 2 जगह ठगी करने बात कही। इन मामलों में उन्होंने 6 लाख 50 हजार रुपये कमाये।