देहरादून (ब्यूरो) जौलीग्रांट एयरपोर्ट को जोडऩे वाले रायपुर-थानो वैकल्पिक रोड पर दिसंबर 2022 में भोपालपानी पुल की एप्रोच रोड बरसात में ध्वस्त हो गई थी। 2018 में निर्मित इस पुल की एप्रोच रोड तीन बार ध्वस्त हो चुकी है। इसके बाद एप्रोच रोड का किस तरह स्थाई मेंटेनेंस हो, इसके परीक्षण को केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) को जांच सौंपी गई। लेकिन अब तक यह तय नहीं हो पाया है इसकी मरम्मत किस तकनीक पर होगी। जबकि इस काम के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग खंड देहरादून ने केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान सीआरआरआई जैसी बड़ी एजेंसी का चयन किया था। लेकिन सीआरआईआई ने पहले जांच में लेटलतीफी की और फिर जांच रिपोर्ट देने में आनाकानी। जिससे पुल की मरम्मत नहीं हो पाई है।

जांच पर 35 लाख खर्च
बता दें कि भोपालपानी पुल की एप्रोच रोड का 24 मीटर भाग 22 दिसंबर 2022 को क्षतिग्रस्त हो गया था। एप्रोच रोड ध्वस्त होने का यह मामला पहला नहीं था। पुल के निर्माण के साढ़े चार साल के भीतर एप्रोच रोड तीसरी बार ध्वस्त हुई। लिहाजा तय किया गया कि मरम्मत की किसी भी विधि पर आगे बढऩे से पहले यहां की मिट्टी की जांच के साथ ही डिजाइन का भलीभांति परीक्षण कराया जाना चाहिए। इस काम के लिए केंद्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान (सीआरआरआई) का चयन किया गया। जांच करने के लिए राजमार्ग खंड देहरादून ने अनुसंधान संस्थान को मार्च-2023 में 35.40 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया था।

जुलाई 2023 में भरे मिट््टे के सैंपल
सीआरआरआई ने पहले मई-2023 में जांच का भरोसा दिलाया था, लेकिन सीआरआरआई की टीम जुलाई में आई और तब मिट्टी के कुछ सैंपल भरे गए थे। तब संस्थान ने सितंबर में प्रारंभिक रिपोर्ट उपलब्ध कराने को कहा था। जब राजमार्ग खंड ने रिमाइंडर भेजा तो कहा गया कि अभी विस्तृत जांच के लिए दोबारा निरीक्षण किया जाएगा। फिर टीम अक्टूबर में आई और थानो रोड पर भोपालपानी पुल समेत दो अन्य पुलों की भी एहतियाती जांच की गई। जैसे-तैसे जांच की गई, लेकिन इसके बाद सीआरआरआई ने रिपोर्ट भेजने में विलंब करना शुरू कर दिया। राजमार्ग खंड के रिमाइंडर भेजे जाने के बाद भी केंद्रीय एजेंसी ने विस्तृत जांच रिपोर्ट नहीं देने से मेंटेनेंस का मामला लटक गया है। लगता है जांच एजेंसी भी पूरे पुल के बहने का इंतजार कर रही है।

डर के साथ कटेगी बरसात
मेंटनेंस न होने से इस बरसात में भी पुल के ऊपर से गुजरने वालों को डर के साए में आवाजाही करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। क्योंकि इस बरसात में पुल की मरम्मत नहीं हो पाएगी। विभागीय अफसरों की मानें तो अभी जांच रिपोर्ट नहीं मिली है। यदि मिल भी जाती है, तो इसका पहले परीक्षण किया जाएगा। इसके बाद मेंटनेंस के लिए एस्टीमेट तैयार किया जाएगा, जो एप्रूवल के लिए शासन को भेजा जाएगा। शासन से स्वीकृति के बाद बजट का प्रावधान किया जाएगा। इसके बार टेंडर की प्रक्रिया की जाएगी। तब ही काम शुरू हो पाएगा। इस प्रक्रिया में एक साल से अधिक का समय लगने की संभावना है।

रोड पर भारी ट्रैफिक दबाव
दून-हरिद्वार हाईवे पर लच्छीवाला के पास टोल प्लाजा खुलने के बाद रायपुर-थोना-जौलीग्रांट मार्ग पर आवाजाही बढ़ गई है। यहां से रोजाना 10 से 12 हजार वाहन आवाजाही करते हैं। टोल के चक्कर में ऋषिकेश जाने वाले लोग इसी मार्ग का ज्यादा इस्तेमाल करते हैं। इस पर रोड खनन के बड़े-बड़े ट्रक भी आवाजाही करते हैं। इसलिए इस पुल की जल्द से जल्द मरम्मत की दरकार है।

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