देहरादून: उत्तराखंड विधानसभा के अगले साल होने वाले चुनाव से ठीक पहले विधानसभा की सल्ट सीट के उपचुनाव में जीत हासिल कर भाजपा ने अपनी साख बरकरार रखी है। साथ ही आगामी चुनाव की तैयारियों के लिहाज से उसके लिए यह जीत और अधिक मनोबल बढ़ाने वाली है। वर्ष 2017 से अब तक यह तीसरा मौका है, जब विधानसभा की रिक्त सीटों के उपचुनाव में भाजपा ने इन्हें अपने पास ही बनाए रखने में सफलता हासिल की है।

भाजपा ने फिर लहराया परचम

प्रदेश में भाजपा वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से विजय रथ पर सवार है। तब भाजपा ने राज्य में लोकसभा की सभी पांचों सीटों पर जीत हासिल की थी। इसके बाद वर्ष 2017 में हुए विधानसभा के चुनाव में पार्टी ने दो-तिहाई से ज्यादा बहुमत हासिल किया। फिर राज्य में नगर निकायों, पंचायतों व सहकारिता के चुनावों में भी पार्टी ने अपना परचम लहराया। वर्ष 2019 में पार्टी ने लोकसभा की सभी पांचों सीटों को अपने पास बरकरार रखकर इतिहास रचा। इसके अलावा विधानसभा की थराली व पिथौरागढ़ सीटों के उपचुनाव में भी भाजपा ने ही बाजी मारी। पिथौरागढ़ सीट कैबिनेट मंत्री प्रकाश पंत और थराली सीट विधायक मगनलाल शाह के निधन के कारण रिक्त हुई थी। पिछले वर्ष सल्ट सीट का प्रतिनिधित्व कर रहे पार्टी विधायक सुरेंद्र सिंह जीना के निधन के कारण यह सीट रिक्त हो गई थी।

साख का था सवाल

इस बीच भाजपा की प्रदेश सरकार और संगठन में भी नेतृत्व परिवर्तन हुआ। ऐसे में बदली परिस्थितियों में सल्ट सीट के उपचुनाव को अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव की रिहर्सल के तौर पर देखा जा रहा था। साथ ही इसमें मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत और प्रदेश भाजपा अध्यक्ष मदन कौशिक के कौशल की परीक्षा भी होनी थी। यानी, यह उपचुनाव के भाजपा के लिए साख का सवाल था। इसे देखते हुए भाजपा ने थराली व पिथौरागढ़ सीटों के उपचुनावों की भांति सल्ट में भी सहानुभूति कार्ड चला और उपचुनाव में पूरी ताकत झोंके रखी। नतीजा, भाजपा के पक्ष में आया। जाहिर है कि इस जीत के साथ ही भाजपा अब बढ़े मनोबल के साथ आगामी चुनाव की तैयारियों में जुटेगी। पार्टी का कहना है कि उपचुनाव में सल्ट क्षेत्र की जनता ने राज्य सरकार के कामकाज पर भी अपनी मुहर लगाई है।