देहरादून ब्यूरो। नगर निगम अधिकारियों की कृपा से स्ट्रीट लाइट मेंटेनेंस के नाम पर मोटा पैसा ले रही कंपनी दरअसल कंपलेन बढऩे के बाद लाइनमैंन और कर्मचारी नहीं बढ़ा रही है, बल्कि पहले से मौजूद लाइनमैन पर ही ज्यादा कंपलेन अटेंड करने का प्रेशर बना रही है। काम के ज्यादा बोझ के कारण कई लाइनमैन नौकरी छोडऩे के लिए भी मजबूर हो रहे हैं।

10 दिन बाद आये ठीक करने
कौलागढ़ में पिछले कई दिनों से 10 स्ट्रीट लाइट खराब थी। स्थानीय लोगों ने इनकी कंपलेन की थी। करीब 10 दिन बाद स्ट्रीट लाइट ठीक करने के लिए कुछ कर्मचारी आये। लेकिन सिर्फ एक स्ट्रीट लाइट ठीक की। स्थानीय लोगों को अनुसार जब कर्मचारियों से कहा कि उन्होंने 10 स्ट्रीट लाइट की कंपलेन की थी, तो कर्मचारियों ने साफ कह दिया कि उन्हें सिर्फ एक कंपलेन भेजी गई है।

8 दिन बाद गली में लाइट
सरस्वती विहार निवासी रमेश थपलियाल के अनुसार करीब 8 दिन से उनकी गली के दोनों स्ट्रीट लाइट बंद थी। गली खत्म होते ही खेते हैं, ऐसे में गली में कई बार सांप भी निकल आते हैं और चोर उच्चकों का भी डर बना रहता है। कई बार फोन करने के बाद अब जाकर गली की लाइट ठीक हो पाई हैं। उधर जीएमएस रोड एन मेरी स्कूल चौक के बाहर एक साथ कई स्ट्रीट लाइट कई दिनों से बंद बताई जा रही हैं।

वर्षों से नहीं जली लाइट
दैनिक जागरण आई नेक्स्ट का अंधेरे में राजधानी अभियान शुरू होने के बाद से लगातार रीडर्स की कॉल आ रही हैं। दर्जनों ऐसी कॉल आ चुकी हैं, जिनमें लोग स्ट्रीट लाइट की कंपलेन लिखने के लिए कह रहे हैं। यह बताने पर कि आपकी समस्या अखबार छाप सकते हैं, कुछ लोग समस्या बताते हैं, जबकि कुछ फोन काट देते हैं। पीपल मंडी से एक महिला ने फोन कॉल करके बताया कि उनके यहां एक स्ट्रीट लाइट कई महीनों से बंद है। कई बार शिकायत कर चुके हैं, लेकिन कोई ठीक करने नहीं आ रहा। हालांकि महिला ने अपना नाम बताने से इंकार कर दिया।

क्या कहते हैं लोग
हमने 10 स्ट्रीट लाइट की शिकायत की थी। 10 दिन बाद लाइट ठीक करने वाले आये। लेकिन केवल एक स्ट्रीट लाइट ठीक करके यह कहकर चले गये कि उनके पास एक की ही कंपलेन है।
विनोद जोशी

हर सड़क अंधेरे में है। एक बत्ती जल रही है तो दो बंद हैं। कहीं-कहीं तो एक ही लाइन से कई बत्ती बंद हैं। शिकायत भी अटेंड नहीं की जा रही है। कुछ शिकायतें 10 से 15 दिन में अटेंड की जा रही हैं। पूरा शहर परेशान है।
यशपाल धवन

अभी तो बरसात है, बहाना है कि ज्यादा कंपलने आ रही हैं। आम दिनों में भी कंपलेन कई-कई दिनों के बाद अटेंड की जाती हैं। स्ट्रीट लाइट दुरुस्त करने के लिए कर्मचारियों की कमी के कारण यह समस्या पैदा हो रही है, बहाना चाहे कुछ भी हो।
प्यारे लाल

हमें तो अब आदत हो गई है अंधेरे में रहने की। एक लाइट कई दिनों बाद ठीक होती है तो दूसरी खराब हो जाती है। फिर कई हफ्ते तक दूसरी के ठीक होने का इंतजार करना पड़ता है। ऐसा कम ही होता है, जब गली की सभी लाइट जल रही होती हैं।
रतन सिंह रावत