शराब से उपचार तक के मसलों पर कटघरे में महकमे।

-दून वैली डिस्टलरी को वाणिज्य कर विभाग ने पहुंचाया फायदा।

-दून हॉस्पिटल में लिमिट से ज्यादा लोकल परचेज फिर सवालों में।

देहरादून: कैग की रिपोर्ट के पन्ने रोजाना एक-एक करके खुल रहे हैं। साथ ही सामने आ रहे हैं दून में महकमों की कारगुजारियां। काले चिट्ठे बयान कर रहे हैं कि किस तरह से सरकारी सिस्टम में लूट-खसोट, अनियमितता का बोलबाला है। फिर चाहे शराब का मामला हो या उपचार की बात हो, कोई क्षेत्र ऐसा नहीं छूटा है, जहां सरकारी सिस्टम की कारस्तानी सामने न आई हो। कैग का जो काम है, वो अपने हिसाब से कर रहा है। सारा दारोमदार तो अब सरकार पर है, कि वह अपने बिगडैल महकमों की मनमानी पर किस तरह से लगाम कस पाती है।

शराब कंपनी पर ये मेहरबानी क्यों?

देहरादून: दून वैली डिस्टलरी पर सरकार के वाणिज्य कर विभाग की जमकर मेहरबानी बरसी है। कैग ने अपनी रिपोर्ट में पूरे मामले का खुलासा किया है। रिपोर्ट के अनुसार, दून वैली डिस्टलरी ने कर निर्धारण वर्ष 2008-09 में शीरा 99.11 लाख की रियायती दर पर खरीदा था। कंपनी की ओर से 26 प्रपत्र-11 डोईवाला शुगर कंपनी को जारी किए गए थे। इसके बाद कंपनी ने शीरे से 21.37 करोड़ की कर मुक्त देशी शराब का उत्पादन किया था और उसे बेचा था। अधिनियम के अनुसार कर योग्य वस्तु का उत्पादन करने वाली निर्माता इकाई को ही प्रपत्र-11 के सापेक्ष की गई खरीद पर रियायती दर का लाभ दिया जा सकता है। कैग ने इस पूरे प्रकरण में मूल्यवर्धित कर यानी वैट में रियायत दिए जाने को अनियमितता माना है।

ये हुआ नुकसान

-कैग की ओर से सारी चीजों को सामने लाने के बाद वाणिज्य कर विभाग ने पूरे प्रकरण में कर निर्धारण नए सिरे से किया है। इसके अनुसार, 59.47 लाख के अर्थदंड के साथ ही 76.32 लाख की राजस्व क्षति की पूर्ति होनी है।

-कैग की रिपोर्ट सुधार के लिहाज से अहम रहती है। सारी चीजों का अध्ययन करके जो उचित होगा, सरकार वो कदम उठाएगी।

-सुरेंद्र कुमार, मीडिया इंचार्ज, सीएम।

दून हॉस्पिटल से लेखा-जोखा तलब

दून हॉस्पिटल में माननीय और खास लोगों को दी जाने वाली एलपी यानी लोकल परचेजिंग की सुविधा पर भी कैग की नजरें टेढ़ी हो गई हैं। सूत्रों के अनुसार, कैग ने निर्धारित सीमा से ज्यादा एलपी करने पर दून हॉस्पिटल प्रशासन से रिपोर्ट मांगी है। हालांकि हॉस्पिटल प्रशासन इसकी पुष्टि नहीं कर रहा है। सूत्रों की मानें तो दून हॉस्पिटल में पिछले दिनों इंटरनल ऑडिट में लिमिट से ज्यादा एलपी करने की बात सामने आई थी। इस पर अब बताया जा रहा है कि कैग के कान भी खडे़ हो गए हैं।

-मेरे कार्यकाल में पूरी तरह से एलपी बंद है। विभागीय ऑडिट में एलपी के जरिए अतिरिक्त बोझ पड़ने की बात पर जो जानकारी चाही गई थी वो दे दी गई है।

डॉ.के के टम्टा, एसएस, दून हॉस्पिटल।