- उत्तराखंड सदन में ठहरी थीं, आज हल्द्वानी में होगा अंतिम संस्कार

DEHRADUN: वरिष्ठ कांग्रेस नेता और उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष 80 वर्षीय डा। इंदिरा हृदयेश का संडे को निधन हो गया। सुबह 10.30 बजे उन्होंने अंतिम सांस ली। अंतिम संस्कार मंडे को उनके गृह नगर हल्द्वानी में होगा। नेता प्रतिपक्ष के निधन पर राज्य सरकार ने संडे को प्रदेश में राजकीय शोक घोषित कर दिया था।

उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर-303 में ठहरी थीं इंदिरा

डा। इंदिरा हृदयेश उत्तराखंड सदन के कमरा नंबर-303 में ठहरी थीं। उन्होंने पार्टी के उत्तराखंड प्रभारी देवेंद्र यादव के साथ सैटरडे नाइट संगठनात्मक बैठक की थी। बैठक के बाद वह अपने कमरे में आराम कर रही थीं, लेकिन सुबह सोकर नहीं उठीं तो सहयोगियों ने उन्हें जगाने का प्रयास किया। तब उनके निधन का पता चला। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, पार्टी की राष्ट्रीय महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा व अन्य नेताओं ने उनके निधन पर दुख जताया है। उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत, प्रदेश अध्यक्ष प्रीतम सिंह व कई नेताओं ने उत्तराखंड सदन पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।

इंदिरा के निधन पर जताया दुख

उत्तराखंड विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष और पूर्व वित्त मंत्री डा। इंदिरा हृदयेश के निधन पर राज्यपाल बेबी रानी मौर्य, सीएम तीरथ सिंह रावत, पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत व हरीश रावत समेत कैबिनेट मंत्रियों, विधायकों और कांगे्रेस नेताओं ने शोक जताया है। सभी ने दिवंगत की आत्मा की शांति और शोक संतप्त स्वजन को धैर्य प्रदान करने की कामना ईश्वर से की है। राज्यपाल बेबी रानी मौर्य ने अपने शोक संदेश में कहा कि महिला राजनेता के रूप में इंदिरा हृदयेश ने राज्य में विशेष पहचान बनाई, जिसके लिए उन्हें हमेशा याद किया जाएगा। सीएम तीरथ सिंह रावत ने कहा कि इंदिरा हृदयेश एक कुशल प्रशासक व वरिष्ठ राजनेता थीं। पूर्व सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने कहा कि इंदिरा हृदयेश का जाना उनके लिए व्यक्तिगत क्षति है। पूर्व मुख्यमंत्री व कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव हरीश रावत ने कहा कि कांग्रेस की एक शीर्ष नेता का जाना सबके लिए बहुत दुखद है। उनके रिक्त स्थान को कोई नहीं भर सकता। कांग्रेस प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव ने कहा कि डा। इंदिरा हृदयेश ने उत्तराखंड के साथ ही देश की राजनीति में भी योगदान दिया। वह उत्तराखंड के विकास के लिए हमेशा चिंतित रहती थीं। इसके अलावा अन्य नेताओं ने भी उनके निधन पर दुख जताया।

डा। इंदिरा हृदयेश का सियासी सफर

- जन्म :- सात अप्रैल 1941

- 1974 :- पहली बार उत्तर प्रदेश विधान परिषद के लिए निर्वाचित

- 1986-से 2000 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद की सदस्य रहीं

- 2000 :- उत्तराखंड की अंतरिम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष

- 2002 :-हल्द्वानी से विधायक चुनी गई। पहली कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री बनीं

- 2012 :- कांग्रेस सरकार में कैबिनेट मंत्री

- 2017 :- विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष

डा। इंदिरा हृदयेश सामाजिक कार्यो में हमेशा आगे रहीं। उन्होंने एक कुशल विधायक के रूप में अपना स्थान बनाया। उन्हें लंबा प्रशासनिक अनुभव भी था। उनके निधन की खबर से दुखी हूं। उनके परिजन और समर्थकों के प्रति अपनी सांत्वना व्यक्त करता हूं।

- नरेंद्र मोदी, प्रधानमंत्री (ट्वीटर पर शोक संदेश)।

डा। इंदिरा हृदयेश ने चार दशक से यूपी से लेकर उत्तराखंड की राजनीति में बड़ी भूमिका निभाई। वह एक कुशल प्रशासक, वरिष्ठ राजनेता व संसदीय परंपरा की जानकार थीं। उनसे दशकों पुराना परिचय रहा। विधानसभा में जनहित के मुद्दे उठाने में वे सदा अग्रणी रहीं।

- तीरथ सिंह रावत, सीएम।

राजनीति में भी इंदिरा की गहरी पकड़

राजनीति के शिखर पर पहुंचने वाली डा। इंदिरा हृदयेश मूल रूप से पिथौरागढ़ के दसौली गांव के दोणू तोक की रहने वाली थीं, लेकिन जन्म 1941 में गोरखपुर में हुआ था। दसौली मूल के पिता टीका राम पाठक व माता रमा पाठक उस समय गोरखपुर में ही रहते थे। बचपन से ही मेधावी रही इंदिरा ने संघर्ष करते हुए सामाजिक व राजनीति के शिखर को चूमा। लखनऊ विवि से उच्च शिक्षा के बाद इंदिरा ललित आर्य महिला इंटर कॉलेज हल्द्वानी में 38 वर्ष तक प्रधानाचार्य रहीं। 1962 में राजनीति में आने के साथ ही वह शिक्षक संघ में सक्रिय हो गई। पहली बार वर्ष 1974 में शिक्षक दल के प्रत्याशी के रूप में उप्र विधानपरिषद के लिए चुनी गई। इसके बाद वह 1986, 1992 व 1998 में विधानपरिषद की सदस्य निर्वाचित हुई। बिजनौर निवासी हृदयेश शर्मा से उनका विवाह हुआ। नौ नवंबर 2000 को राज्य निर्माण के बाद डा। इंदिरा हृदयेश को कांग्रेस ने विधायक दल का नेता मनोनीत किया। वह अंतरिम विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष थी। 2002 में एनडी तिवारी के नेतृत्व वाली पहली निर्वाचित सरकार में उन्होंने संसदीय कार्य और सूचना मंत्री बनाया गया। 2012 में फिर से कांग्रेस सरकार में वह मंत्री बनी। उन्हें वित्त मंत्रालय की जिम्मेदारी सौंपी गई। वह 2017 से अब तक नेता प्रतिपक्ष की जिम्मेदारी संभाल रही थीं।