देहरादून (ब्यूरो) बीते 15 साल की बात करें तो दून में अंडरग्राउंड वाटर 16 मीटर तक नीचे खिसक गया है। एक्सपट्र्स के अनुसार यदि अभी प्रयास नहीं किए गए, तो आने वाले समय में हालात बेकाबू हो जाएंगे। बदलता मौसम चक्र और कम बारिश भी इसके लिए जिम्मेदार है, लेकिन, रिचार्जिंग के वैज्ञानिक तौर-तरीके बढ़ाने के प्रयास होने चाहिए। सिंचाई के अलावा शहर की पेयजल आपूर्ति पूरी तरह ट्यूबवेल पर आधारित है। 80 परसेंट ट्यूबवेल और 20 परसेंट ग्रेविटी से पानी की सप्लाई हो रही है। जल संस्थान के अधिकारियों के अनुसार डिमांड ज्यादा होने के कारण कुछ क्षेत्रों में दिक्कत हो रही है।

सूख रहे प्राकृतिक जल स्रोत
दून में प्राकृतिक जल स्रोत सूख रहे हैं। पानी के लिए मुख्य जल स्रोत बांदल नदी और बीजापुर नहर हैं। इसके अलावा शिखर फॉल और गलोगी जल स्रोत है। अत्यधिक दोहन और समय पर रिचार्ज न होने के कारण पानी की उपलब्धता घट रही है। जानकारी के अनुसार शिखर फॉल से रोजाना करीब 15 एमएलडी पानी मिलता है, लेकिन गर्मी में यह भी 9 एमएलडी पहुंच जाता है। बीजापुर नहर जल स्रोत से भी गर्मी में 18 एमएलडी की जगह 8 एमएलडी ही मिल पाता है, जिससे पानी की क्राइसिस बढ़ जाती है। स्रोत सूखने से जमीन में पानी का स्तर नीचे चला जाता है, जो भविष्य में बड़े जल संकट की ओर इशारा कर रहा है।


अर्बनाइजेशन मुख्य वजह
वैज्ञानिक लगातार नीचे खिसक रहे वाटर लेवल के लिए अर्बनाइजेशन को सबसे बड़ा कारण मान रहे हैं। कंक्रीट के जंगल में तब्दील होती जमीन और सड़क व अन्य विकास कार्यों के नाम पर हजारों पेड़ों का दोहन मुख्य कारण बताया जा रहा है।

खेती न होनेे से सूख रही परतें
सेंटर ग्राउंड वाटर बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) के अधिकारियों का कहना है कि जहां खेती थी वहां बड़े-बड़े अपार्टमेंट, हॉस्पिटल, एजुकेशनल इंस्टीट्यूट और कॉम्प्लेक्स खड़े हो गए हैं या फिर जमीन बंजर हो चुकी है। खेती न होने से धरती की परतें भी सूख रही हैं। जिसके कारण ये समस्या हो रही है।

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