- आर्थिक हालात खराब होने से कई पब्लिक स्कूल बंदी के कगार पर

- दून में तीन प्राइवेट स्कूल हो चुके बंद, प्रदेश में 40 बंद

देहरादून,

कोरोनाकाल में एजुकेशन सेक्टर बुरी तरह से प्रभावित हुआ है। दून में ही 3 प्राइवेट स्कूलों पर ताला लग चुका है, जबकि प्रदेश में 40 स्कूल बंद हो गए। पब्लिक स्कूल्स की प्रिंसिपल प्रोग्रेसिव स्कूल एसोसिएशन (पीपीएसए) का दावा है कि हालात यही रहे तो ये आंकड़ा डबल हो सकता है। पीपीएसए स्टेट गवर्नमेंट से पब्लिक स्कूलों की मदद करने की गुहार लगा चुकी है, साथ ही आगे स्कूलों को खोलने को लेकर अपनी कुछ मांगे भी रखने जा रही है।

फीस आना बंद, खर्चे जुटाना मुश्किल

स्टूडेंट्स का भविष्य सुधारने के उद्देश्य से खोले गए पब्लिक स्कूल अब अपने ही भविष्य को लेकर चिंतित है। आर्थिक संकट से जूझ रहे कई पब्लिक स्कूल अब बंदी के कगार पर आ चुके हैं। पीपीएसए के अध्यक्ष प्रेम कश्यप ने बताया कि कई ऐसे स्कूल हैं जिन्होंने बैंको से लोन लेकर ही पिछले 4-5 साल के अंदर स्कूल खोले थे, लेकिन कोरोना की वजह से स्कूलों में फीस जमा नहीं हुई जिससे स्कूलों पर ताले लग गए हैं। उन्होंने बताया कि सिटी में 25 परसेंट से कम ही फीस जमा हो रही है। इससे स्कूलों के आर्थिक हालात बिगड़ गए हैं।

कैसे दी जाए स्टाफ को सैलरी

प्रेम कश्यप का कहना है कि स्कूलों को चलाने के लिए संसाधन जुटाए जाते हैं, इन स्कूलों को चलाने के लिए फीस की आवश्यकता है, जिससे स्कूल स्टाफ को सैलरी दी जा सके। लेकिन सरकार की ओर से भी कुछ खास पहल नहीं की गई है, इसके उलट ऐसी स्थिति में भी दून में कोरोनाकाल में शिक्षा विभाग की ओर से 25 स्कूलों को नोटिस भेजा जा चुका है।

इन शर्तो पर खोलेंगे स्कूल

- टीचर्स को कोरोना वॉरियर्स डिक्लेयर किया जाए।

- स्कूल में किसी बच्चे को कोरोना इन्फेक्शन हो जाए तो स्कूल की जिम्मेदारी नहीं होगी।

- बच्चे की सेफ्टी पैरेंट्स को करनी होगी एन्श्योर।

- दो मोड में नहीं संचालित होगा स्कूल।

- या तो ऑनलाइन या ऑफलाइन एक ही मोड में करेंगे संचालन।

50 परसेंट बच्चों से नहीं है संपर्क

बालावाला में ब्राइट स्पेस इंटरनेशनल स्कूल के ओनर बृजेश शर्मा ने बताया कि उनका स्कूल 2003 से संचालित हो रहा है। स्कूल में 250 से ज्यादा स्टूडेंट्स रजिस्टर्ड हैं। 14 मेंबर्स का स्टाफ है। उन्होंने बताया कि स्कूल लोन पर चल रहा है, जिसमें कुछ कंस्ट्रक्शन वर्क भी जारी है। बृजेश शर्मा ने बताया कि लंबे समय से 50 परसेंट से ज्यादा बच्चे सिटी से बाहर हैं। जहां इंटरनेट की कनेक्टिविटी न होने से बच्चे ऑनलाइन क्लासेज नहीं ले पा रहे हैं। कहा कि फीस जमा न होने के कारण स्कूल के खर्चे निकालना मुश्किल है। स्टाफ की सैलरी से लेकर कई खर्चे कम नहीं किए जा सकते हैं। ऐसे में सरकार को पब्लिक स्कूलों की मदद करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार को पब्लिक स्कूल के बिजली और पानी के बिल माफ कर देने चाहिए। साथ ही आर्थिक मदद भी करनी चाहिए।

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जून तक कई स्कूलों ने बुरे आर्थिक हालातों को झेला है, लेकिन अब सैलरी से लेकर स्कूलों को संचालित करना मुश्किल हो रहा है। जो स्कूल बैंक से लोन लेकर चल रहे थे, उनमें से अधिकतर स्कूलों में ताले लग चुके हैं। अगर कुछ माह ओर ऐसा रहा तो दोगुने स्कूल बंदी के कगार पर आ जाएंगे।

प्रेम कश्यप, अध्यक्ष, पीपीएसए

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फीस जमा न होने के कारण 8वीं तक के कई स्कूल बंदी के कगार पर हैं। देहरादून में 665 पब्लिक स्कूल हैं, इनमें से कई स्कूल लोन पर चल रहे हैं। पैरेंट्स अभी भी फीस जमा नहीं कर रहे हैं, सरकार की ओर से कोई मदद नहीं मिल रही है।

समरजीत सिंह, अध्यक्ष, डीएसएयू

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कोरोनाकाल में कई बच्चे स्कूल के संपर्क में ही नहीं है। सिटी से बाहर जा चुके बच्चे ऑनलाइन क्लासेज नहीं ले रहे हैं। फीस जमा न होने से स्कूल को अपने खर्चे चलाना मुश्किल हो रहा है। सरकार को पब्लिक स्कूलों की मदद करनी चाहिए।

बृजेश शर्मा, चेयरमैन, ब्राइट स्पेस इंटरनेशनल स्कूल