देहरादून (ब्यूरो) एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि 16 अप्रैल को सहस्रधारा रोड के पैसेफिक गोल्फ अपार्टमेंट निवासी कारोबारी राजीव कुमार ने शिकायत दी कि 9 अप्रैल को सुनील वर्मा नाम के किसी व्यक्ति ने उन्हें फोन कर खुद को मुंबई क्राइम ब्रांच का अधिकारी बताया। कहा कि वह कॉल अपने अधिकारी को ट्रांसफर कर रहा है। दूसरे व्यक्ति ने कारोबारी राजीव कुमार से कहा कि मुंबई में कस्टम विभाग ने उनका एक कोरियर पकड़ लिया है, जिसमें पासपोर्ट, क्रेडिट कार्ड और नशे की सामग्री है। इसके बाद कारोबारी को मोबाइल पर स्काइप एप से जोड़कर वीडियो कॉल की गई। जहां एक व्यक्ति पुलिस अधिकारी की वर्दी में था, जिसने पार्सल के संबंध में पूछताछ की और उन्हें मनी लांङ्क्षड्रग, नशा तस्करी व पहचान छिपाने का संदिग्ध बताकर सीबीआई का नोटिस भेजा।

डिजिटली अरेस्ट कर लिया
व्यक्ति ने पीडि़त को धमकाया कि उनके नाम से चल रहे खातों में 38 करोड़ का अवैध ट्रांजेक्शन हुआ है। इस दौरान 9 अप्रैल को सुबह 10 बजे से 15 अप्रैल को दोपहर एक बजे तक पूरे दिन डिजीटल गिरफ्तार करके रखा। इसके बाद उनसे केस रफा दफा करने के नाम पर एक करोड़ 13 लाख रुपये ठग लिए। इस मामले में साइबर थाने में अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। सीओ अंकुश मिश्रा के नेतृत्व में एक टीम गठित कर आरोपितों की फोन डिटेल व खातों की जानकारी जुटाई गई। इस दौरान आरोपितों का राजस्थान से संबंध बनाया पाया गया।

कोटा से किए गिरफ्तार
एसएसपी ने बताया कि इंस्पेक्टर देवेंद्र नबियाल व एसआई मुकेश चंद की देखरेख में एक टीम राजस्थान रवाना की गई, जहां से राकेश व दीपक लक्षकार दोनों निवासी अजापुरा थाना शोकुर, मध्य प्रदेश, वर्तमान निवासी गुजरो का मोहल्ला निकट शीलता माता मंदिर, थाना इटावा, कोटा राजस्थान और आसिफ असली निवासी जामा मस्जिद के पास इटावा, थाना इटावा जिला कोटा राजस्थान को गिरफ्तार किया गया। आरोपितों के पास से 5 मोबाइल फोन व आधार कार्ड बरामद किए गए हैं। एसएसपी ने बताया कि साइबर ठगी की घटना को अंजाम देने के लिए साइबर अब डिजीटल गिरफ्तारी की घटना को अंजाम दे रहे हैं। यह गिरोह दुबई से संचालित हो रहा है, वहीं पर ठगों ने पूरा कॉल सेंटर बनाया गया है। इन साइबर ठगों की ओर से भारत में केवल खाते खुलवाने व डाटा एकत्र करने के लिए अलग-अलग राज्यों में युवक रखे हुए हैं।

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