देहरादून (ब्यूरो) प्रिंस चौक के चंद दूरी पर मौजूद है नेहरू वार्ड। जहां हर वर्ष बाल दिवस पर यानि 14 नवंबर को दून के तमाम स्कूलों के सैकड़ों बच्चे, नेहरू ब्रिगेड से जुड़ी संस्थाएं विरासत को निहारने के लिए पहुंचती हैं। हर बार बाल दिवस पर नेहरू वार्ड को हेरिटेज का दर्जा देने के साथ ही म्यूजियम तैयार करने, पं। नेहरू से जुड़ी यादों को सहेजने के दावे किए जाते हैं। इस सच्चाई में कितना दम है। शायद, इसको बताने की जरूरत नहीं। दरअसल, नेहरू वार्ड की देख-रेख का जिम्मा राज्य के संस्कृति विभाग के पास है। नेहरू वार्ड में कुछ निर्माण कार्यों को छोड़ दिया जाए तो इन राज्य गठन के 24 सालों नेहरू वार्ड किस स्थिति में है। सब कुछ आपके सामने है।

वार्ड में एंट्री चुनौतीपूर्ण
नेहरू वार्ड का मेन गेट बंद है। पास में बड़ी इमारत का निर्माण चल रहा है। ऐसे में नेहरू वार्ड को देखने तक के लिए रिसर्च स्कॉलर या फिर स्कूलों के स्टूडेंट्स तक नहीं पहुंच सकते हैं। स्थानीय लोगों की मानें तो पिछले कई महीनों से नेहरू वार्ड तक पहुंचने का रास्ता ही नहीं है। बेहद जरूरी होने पर विजिटर्स बगल में निर्माणाधीन बिल्डिंग का सहारा लेकर चारदीवारी से प्रवेश कर पाते हैं। बदले में विभाग के पहले से रटे-रटाए अपने तर्क हैं। विभाग के डायरेक्टर का इस बावत अब कहना है कि सड़क व बिल्डिंग के कारण मेन गेट बंद किया गया है। जल्द नया गेट तैयार कर नेहरू वार्ड को रिनोवेट भी कर दिया जाएगा।


नेहरू वार्ड पर एक नजर
-नेहरू ने जेल प्रवास के दौरान इसी जेल से डिस्कवरी ऑफ इंडिया, ग्लिम्पसेस ऑफ वल्र्ड हिस्ट्री बुक्स व लेटर फ्रॉम ए फादर टू डॉटर पत्र भी लिखा।
-देश की आजादी की खातिर दून की जेल में चार बार वे बतौर कैदी कैद रहे थे।
-पुरानी जेल की कोठरी में वर्ष 1932 से 1941 के बीच वे 878 दिन कैदी रहे।
-चाचा नेहरू 1932, 1933 और 1934 में कुछ-कुछ अंतराल में दून की जेल में कैद हुए।
-इसके बाद वर्ष 1941 में भी उन्हें दून में लाकर कैदी के तौर रखा गया।
-उनकी याद में प्रिंस चौक के पास नेहरू वार्ड चाचा नेहरू के संघर्षों की दिलाता है याद।
-वार्ड में नेहरू की कोठरी, स्नानघर, पाकशाला आदि आज भी रखे गए हैं सहेज कर।
-संस्कृति विभाग का था दावा, म्यूजियम व गुलाब वाटिका का होगा निर्माण।

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