- सेनेटाइजेशन से कोरोना कंट्रोल भी, डेंगू मच्छर का खात्मा भी

- सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग के घोल का किया जा रहा छिड़काव

- अब तक नहीं आया डेंगू का कोई केस

देहरादून,

कोरोना से जंग लड़ रहे स्वास्थ्य विभाग के लिए अभी तक डेंगू का प्रकोप सामने न आना राहत भरा रहा है। हालांकि कोरोना के साथ-साथ डेंगू से विभागीय टीमें जंग लड़ रही हैं। इस बीच कोरोना के खात्मे के लिए सेनेटाइजेशन डेंगू कंट्रोल के लिए भी अहम हथियार साबित हो रहा है। स्वास्थ्य विभाग की मानें तो रेगुलर सेनेटाइजेशन से कोरोना वायरस के इन्फेक्शन के साथ-साथ डेंगू मच्छर का भी खात्मा हो रहा है। इस तरह से स्वास्थ्य विभाग एक हथियार से दो वार कर रहा है।

लाखों लीटर का हो चुका है छिड़काव

कोरोना संक्रमण से बचने के लिए स्वास्थ्य विभाग द्वारा लंबे समय से सेनेटाइजेशन किया जा रहा है। इसमें सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग के घोल का छिड़काव किया जाता है। जिससे कोरोना संक्रमित जगह विसंक्रमित हो जाती है। स्वास्थ्य विभाग, नगर निगम की मदद से अब तक दून में लाखों लीटर से का छिड़काव कर चुका है। लॉकडाउन पीरियड से ही दून में सेनेटाइजेशन का काम जोर-शोर से किया जा रहा है। बाजारों में तो सेनेटाइजेशन किया ही जाता है इसके अलावा जिन जगहों पर कोरोना मरीज सामने आते हैं, वहां पर भी स्वास्थ्य विभाग द्वारा सेनेटाइजेशन करवाया जाता है।

ब्लीचिंग पाउडर का भी यूज

सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग का घोल का छिड़काव कोरोना वायरस के खात्मे के लिए इफेक्टिव है। हेल्थ डिपार्टमेंट की ओर से भी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए सेनेटाइजेशन की गाइडलाइन पहले ही जारी की जा चुकी है। जिसमें सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग पाउडर के मिश्रण को विसंक्रमित करने का माध्यम बताया गया है।

छिड़काव से जल जाता है मच्छर

सेनेटाइजेशन से जहां कोरोना वायरस से बचा जा सकता है वहीं डेंगू के मच्छरों से भी मुक्ति मिलने की बात सामने आई है। स्वास्थ्य विभाग का दावा है कि सेनेटाइजेशन के लिए इस्तेमाल होने वाले सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग के घोल से मच्छर झुलस जाते हैं इससे इस साल मच्छरों की तादाद में कमी आई है। इसके साथ ही कोरोना को लेकर अवेयर करने वाली टीम डेंगू को लेकर भी पब्लिक को अवेयर कर रही है। ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम सेनेटाइजेशन के साथ-साथ जागरूकता अभियान में भी एक हथियार से दोहरा वार किया जा रहा है। दोनों तरीकों से कोरोना और डेंगू के खिलाफ जंग लड़ी जा रही है। दून में डेंगू से निपटने को 550 आशा कार्यकर्ता और 100 पीआरडी के वर्कर घरों में लार्वा को चेक करने में जुटे हैं। जिनकी 250 से ज्यादा टीमें रोज घरों में डेंगू को लेकर जागरूकता अभियान चला रही हैं। प्रशासन की ओर से डेंगू के खिलाफ हफ्ते में 3 दिन बुधवार, शनिवार और रविवार को विशेष अभियान चल रहा है।

2019 में डेंगू ने मचाया कहर

दून में अब तक डेंगू का कोई मामला सामने नहीं आया है। बीते दिनों हरिद्वार के एक मरीज की दून के हॉस्पिटल में मौत हुई है। लेकिन दून में इस साल अभी तक कोई केस सामने न आना स्वास्थ्य विभाग को थोड़ा राहत जरुर दे रहा है। इस समय स्वास्थ्य विभाग की पूरी टीम कोविड़ 19 से लड़ रही है। हालांकि बरसात आते ही स्वास्थ्य विभाग की टीम ने डेंगू के खिलाफ भी अभियान छेड़ा हुआ है। 2019 में जुलाई माह में ही डेंगू के 100 केस सामने आ चुके थे। जबकि 2019 में करीब 5 हजार तक डेंगू के केस आए थे। स्वास्थ्य विभाग कोरोनाकाल में डेंगू के प्रकोप को लेकर भी डरा हुआ है। ऐसे में उम्मीद लगाई जा सकती है कि इस साल सेनेटाइजेशन और जागरुकता अभियान से एक साथ दो-दो बीमारियों से लड़ने में स्वास्थ्य विभाग कामयाब होगा।

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कोरोना वायरस से बचाव के लिए सेनेटाइजेशन किया जा रहा है। इसमें सोडियम हाइपोक्लोराइड और ब्लीचिंग का घोल का छिड़काव किया जा रहा है। इससे मच्छर भी जल जाते हैं। इसका असर दिख भी रहा है फिलहाल सिटी में मच्छरों की तादाद ज्यादा नहीं है।

डॉ। सुभाष जोशी, जिला मलेरिया अधिकारी