देहरादून (ब्यूरो) मास्टर प्लान एक तरह से अगले 20 साल का विजन डॉक्यूमेंट है, जिसके जरिए शहर के सुनियोजित विकास की परिकल्पना की जाती है। पॉपुलेशन के हिसाब से शहर के डेवलपमेंट को अलग-अलग भागों में बांटा जाता है। इसमें आवासीय, कॉमर्शियल और ग्रीन पार्क का संतुलन बनाने के लिए महायोजना की रूपरेखा बनाई जाती है। प्लान में पर्यावरण के साथ ही ग्रीन एरियाज पर ध्यान रखना होता है। हर जगह भवन खड़े हो जाएंगे तो पर्यावरण कैसे संतुलित रहेगा। सड़कों की चौड़ाई कम होने पर आवाजाही में परेशानियां हो सकती हंै। मास्टर प्लान में इन सभी बातों का ध्यान रखा जाता है।

फिजिकल बाउंड्री से बंधी है दून वैली
चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव ने बताया कि दून एक वैली है, जो चारों ओर से फॉरेस्ट से घिरी हुई है। यहां जयपुर, राजस्थान और एमपी के शहरों की तरह फैलने की जगह नहीं है। इसलिए इस वैली को बचाए रखने की चुनौती है। मास्टर प्लान में इस बात को इंगित करते हुए अधिक से अधिक एरियाज में ग्रीनरी का विशेष ध्यान रखा गया है। मास्टर प्लान में दर्शाया गया है कि टोटल एरिया का 80 परसेंट आवासों से भर गया है। बाकी जमीन पर कॉमर्शियल व अन्य गतिविधियां संचालित हो रही हंै। ग्रीन एरिया महज एक परसेंट रह गया है, जबकि न्यूनतम 18 परसेंट होनी चाहिए।

सड़कों की चौड़ाई न्यूनतम 12 मीटर
बढ़ती आबादी को देखते हुए सड़कों की चौड़ाई 12 मीटर रखी गई है। आबादी के साथ ही शहर में वाहनों का दबाव भी बढ़ता जा रहा है। इसलिए हाईस्पीड कनेक्टिविटी के लिए महायोजना में ब्रिज, एलिवेटेड रोड, रिंग रोड पर फोकस किया गया है। सड़कों की कम चौड़ाई से ट्रैफिक पर असर पड़ता है। कई जगहों पर रोड की चौड़ाई 30 से 60 मीटर भी है।

हिंदी में हो मास्टर प्लान
मास्टर प्लान में मांगी गई आपत्तियों में एक मास्टर प्लान को हिंदी में तैयार करने की भी मांग है। इस बार भी ड्राफ्ट इंग्लिश में तैयार किया गया है। लोगों ने इस पर आपत्ति जताई। जानकारों का कहना है कि अंग्रेजी की वजह से ड्राफ्ट आम लोगों की समझ में नहीं आता है। इसलिए इसे हिंदी भाषा में भी तैयार किया जाए। इसके अलावा रोड ग्रीन पार्क, लैंडयूज को लेकर करीब 800 आपत्तियां दर्ज की गई है।

जनसुनवाई में व्यक्तिगत समस्याएं
मास्टर प्लान को लेकर आजकल आपत्तियों पर जनसुनवाई चल रही है। ट््यूजडे को आईटी पार्क स्थित सिडकुल भवन में आयोजित सुनवाई के दौरान अधिकांश लोग व्यक्ति आपत्तियां लेकर आए। कोई सड़क की चौड़ाई, कोई लैंड यूज आवासीय और कॉमर्शियल करने और कोई पार्क आदि में जमीन दर्शाने की आपत्ति लेकर पहुंचे। पब्लिक की बात किसी ने नहीं कही कि फलां जगह पर पार्क बनना चाहिए। फलां जगह पर खेल मैदान बने। फलां जगह पर स्कूल व हॉस्पिटल बने। एमडीडीए और टाउन प्लान ने बताया कि आपत्तियों का निस्तारण आखरी सुनवाई के बाद होगा। इस दौरान चीफ टाउन प्लानर शशि मोहन श्रीवास्तव, टाउन प्लानर गीता खुल्वे, शालू थिंडे, एमडीडीए के सहायक अभियंता प्रशांत सेमवाल व सर्वेयर गरीश चमोली आदि मौजूद रहे।

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