देहरादून(ब्यूरो)। कार्यक्रम के पहले सत्र की शुरुआत में डॉ। ईशान पुरोहित ने सुशीला देवी फेलोशिप कार्यक्रम के बारे में जानकारी दी। अखिलेश डिमरी और विनय केडी ने राज्य में होम स्टे योजनाओं की संभावनाओं और चुनौतियों के बारे में बताया। अखिलेश और केडी खुद होमस्टे चला रहे हैं। उन्होंने कहा कि होम स्टे एक अच्छा विकल्प है, लेकिन इसमें सबसे बड़ी चुनौती स्किल्ड कर्मचारियों की आती है। पहाड़ी कुजीन को प्रमोट कर रहे अरण्य रंजन समूण ने बताया कि किस तरह उन्होंने उत्तराखंड के कुजीन को प्रमोट करने की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि सबसे बड़ी समस्या यह है कि पहाड़ के लोगों ने खुद पहाड़ का खान-पान छोड़ दिया है। कैलाश भट्ट पहाड़ी टोपी और मंजू टम्टा ने पहाड़ के परंपरागत पिछौड़े के अपने स्टार्टअप की जानकारी दी।

मेहनत भूल गये हम
दून यूनिवर्सिटी के कुलपति प्रो। सुरेखा डंगवाल ने उत्तराखंड में उद्यमिता और ग्रामीण पर्यटन के तमाम पहलुओं को छूते हुए कहा कि पहाड़ में श्रमसाध्यता खत्म हो गई है। लोग अब सब कुछ रेडीमेड चाहते हैं। उन्होंने कहा कि सरकारी राशन मिलने के बाद लोगों ने अपने खेतों और सग्वाड़ों में सब्जी और अनाज उगाना लगभग छोड़ दिया है। उन्होंने कहा कि प्रकृति ने पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए पहाड़ों को भरपूर सुन्दरता दी है, वे आ भी रहे हैं, लेकिन हम उनके लिए व्यवस्थाएं नहीं कर पा रहे हैं।

बुक लॉन्चिंग
कार्यक्रम से सेकेंड सेशन में डॉ। ईशान पुरोहित की पुस्तक &मैं क्यों हारूं&य का लोकार्पण किया गया। लोकार्पण कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित प्रो। आदित्य नारायण पुरोहित ने की, जबकि मुख्य अतिथि प्रसिद्ध गीतकार और लोकगायक नरेन्द्र सिंह नेगी थे। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ। राजेन्द्र डोभाल, प्रो। आरडी पुरोहित, प्रो। केसी पुरोहित और विनसर पब्लिकेशन के कीर्ति नवानी भी इस मौके पर मौजूद थे। बीना बेंजवाल, गिरीश सुन्दरियाल और डॉ। अंजू भट्ट ने पुस्तक की समीक्षा की। कार्यक्रम का संचालन डॉ। राकेश भट्ट और गणेश खुगशाल &गणी&य ने किया।

कवयित्री सम्मेलन का आयोजन
थर्स सेशन में कवयित्री सम्मेलन का आयोजन किया गया। पहली बार कविता सुनाने मंच पर आई गीता गैराला ने अपनी बिना लिखी कविताओं के माध्यम से पर्यावरण और पहाड़ में वन्य जीवों के आतंक पर टिप्पणी की। डॉ। अंजु भट्ट, च्योत्सना जोशी, प्रेमलता सजवाण, मधुर वादिनी तिवारी, कान्ता घिल्डियाल और कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रही बीना बेंजवाल ने भी कवितापाठ किया।