देहरादून (ब्यूरो)। नगर निगम ने दिल्ली की एक कंपनी को निगम के 60 पुराने वार्डों में सोडियम लाइट्स हटाकर एलईडी लाइट्स लगाने का काम दिया था। लेकिन, कंपनी शुरू से ही विवादों में रही। तय समय से दो साल देरी से कंपनी ने काम पूरा किया। इसके बाद भी नगर निगम ने 40 नए वार्डों में लाइट्स का काम भी इसी कंपनी को दे दिया। कंपनी को बीती जुलाई में काम पूरा करना था, लेकिन अब तक काम अधूरा है। इधर, पुराने वार्डों में लगाई आधी से ज्यादा एलईडी लाइटें खराब हो चुकी हैं। पार्षद लगातार इसकी शिकायत कर रहे हैं, मगर निगम अधिकारी कुछ करने को तैयार नहीं। निगम के शिकायत प्रकोष्ठ में बंद स्ट्रीट लाइटों को लेकर रोजाना सौ से ज्यादा शिकायतें आ रही हैं।

बोर्ड मीटिंग में भड़के पार्षद
मंगलवार को बोर्ड बैठक में पार्षदों ने इस मामले में जमकर हंगामा किया। भाजपा की पार्षद अमिता सिंह, अजय सिंघल व भूपेंद्र कठैत समेत कांग्रेसी पार्षद डा। बिजेंद्र पाल सिंह, रमेश बुटोला, कोमल बोहरा आदि ने स्ट्रीट लाइट लगाने वाली कंपनी पर मनमानी का आरोप लगाया। पार्षदों ने कहा कि गत दिनों हुए हंगामे पर महापौर गामा ने कंपनी के अधिकारियों को दस दिन में सभी खराब लाइटें ठीक करने को कहा था, मगर कंपनी ने एक भी लाइट ठीक नहीं की। इस मामले पर करीब पौन घंटे जमकर घमासान हुआ। बैठक में मौजूद कंपनी के अधिकारियों को महापौर ने जमकर खरी-खोटी सुनाई और काम में तेजी लाने के लिए कर्मचारियों की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। सख्त कार्रवाई करते हुए महापौर ने मेंटेनेंस कार्य कर रही फर्म को बाहर कर दिया।

मेयर के आदेश भी नहीं माने
पिछले दिनों मेयर सुनील उनियाल गामा ने आदेश दिया था कि हर वार्ड में 15 दिन में इलेक्टि्रशियन दिनभर तैनात रहेगा और खराब सभी लाइटें ठीक करेगा, लेकिन कंपनी ने आदेश अमल में लाए ही नहीं गए। पार्षदों का दावा किया कि 15 दिन तो दूर, एक-एक महीना बीतने पर इलेक्टि्रशियन नहीं आ रहा। आरोप लगा कि कंपनी के अधिकारी पार्षदों के फोन भी उठाने को भी राजी नहीं। यह स्थिति तब है जब निगम ने मेंटेनेंस के काम के लिए पांच करोड़ का करार अलग से किया हुआ है।