देहरादून (ब्यूरो) गांधी पार्क द्रोणनगरी के लिए किसी लैंडमार्क से कम नहीं है। वर्षों पुराना गांधी पार्क हर किसी के लिए हमेशा फेवरेट रहा है। जहां सीनियर सिटीजन से लेकर बच्चे तक वॉक करने, घूमने-टहलने के साथ फुलऑन एंज्वॉयमेंट के लिए पहुंचते हैं। इस पार्क में अमूमन विजिटर्स को हर प्रकार की सुविधाएं मिलती हैं। लेकिन, अब नगर निगम इसको पीपीपी मोड पर संचालित करने की तैयारी कर रहा है। बताया जा रहा है कि इसको लेकर नगर निगम प्रशासन अंदरखाने वर्क प्लान पर काम कर रहा है। बाकायदा, इसके लिए दूसरे स्टेट का भी अध्ययन किया जा रहा है। जिससे निजी हाथों में पार्क को सौंपे जाने के बाद आम लोगों या फिर निगम को क्या फायदा होगा, इस पर मंथन जारी है।

शासन से अप्रूवल के बाद निर्णय
नगर निगम के नगर आयुक्त ने बताया कि गांधी पार्क को पीपीपी मोड में दिए जाने के लिए सोचा जा रहा है। शासन को इस बारे में प्रपोजल सौंपा जाएगा। अप्रूवल के बाद ही इस पर विचार किया जाएगा। कोशिश है कि पार्क को मॉडर्न बनाए जाए, लाइटिंग के पूरे इंतजाम हों, सिटी का सबसे खूबसूरत पार्क के तौर पर पहचान रखे।

इसलिए भी चर्चा में गांधी पार्क
गांधी पार्क कई बार राजनीतिक व गैर राजनीतिक एक्टिविटीज के लिए भी बहस का मुद्दा बनता रहा है। नतीजतन, निगम प्रशासन को इस पर पाबंदी लगानी पड़ी। यहां तक कि गेट के सामने गोष्ठियां, रैलियां हुआ करती हैं। जिस कारण पार्क में जाने वाले विजिटर्स को परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ।

इसलिए सौंपना चाह रहा निगम
निवर्तमान पार्षदों व अन्य जानकारों की मानें तो नगर निगम का गांधी पार्क को निजी हाथों में सौंपने की असल वजह मैनेजमेंट है। मतलब, निगम की ओर से कई बार गांधी पार्क को संवारने के लिए कई एक्सपेरीमेंट्स किए जा चुके हैं। लेकिन, नगर निगम को सफलता नहीं मिल पा रही है। ओपन एयर जिम की शुरुआत की तो 5 साल में टूट-फूट गए। रैलियां, गोष्ठियों के लिए प्रबंध लगाया जाता है तो राजनीति शुरू हो जाती है। ऐसे में निगम इसको पीपीपी मोड पर देना चाह रहा है। कुल मिलाकर जितना खर्च निगम की ओर से गांधी पार्क पर किया जाता है, बदले में उसका रिटर्न नहीं है। इसी को लेकर निगम पीपीपी मोड पर देने की तैयारी कर रहा है।

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