-दून जू में 18 लोगों ने किए कई वाइल्ड एनिमल्स को अडॉप्ट

-कोरोनाकाल में जू को करीब 2.3 करोड़ के कमाई के नुकसान का अनुमान

देहरादून, कोरोना महामारी की मार बेजुबानों पर भी पड़ी है। हालात ये रहे कि उनके सामने पेट का संकट तक खड़ा हो गया। बात हो रही जू की। जहां कई बेजुबान आम लोगों को बतौर पर्यटक आकर्षित करते हैं, लेकिन कोरोनाकाल में उनके सामने भरपेट भोजन तक की समस्या खड़ी हो गई। लेकिन शहर में कई ऐसे लोग शामिल रहे। जिन्होंने संकट की इस घड़ी में उनकी मदद के लिए हाथ बढ़ाए। यही वजह रही है कि जू में मौजूद बेजुबानों को संकट से उबारने के लिए 18 ऐसे लोग आगे आए, जिन्होंने ऐसे वाइल्ड एनिमल्स को भरपेट भोजन मुहैया कराने का बीड़ा उठाया। ऐसे लोगों ने जू प्रशासन के खाते में सवा लाख रुपए का अडॉप्शन हेल्प की मुहैया करा दी है।

18 लोग गोद लेने खुद आए आगे

शहर में एक मात्र जू मौजूद है मसूरी रोड पर। कुछ वर्षो पहले तक यह मालसी डीयर पार्क के नाम से जाना जाता था। लेकिन सेंट्रल जू अथॉरिटी की मंजूरी के बाद अब इसको जू में कनवर्ट कर दिया गया है। जू देशभर व स्थानीय लोगों के लिए इंटरटेनमेंट का बड़ा साधन हुआ करता है। लेकिन इस कोरोनाकाल की चपेट में जू भी आया। करीब 23 मार्च से दून जू पर्यटकों के लिए बंद हो गया था। नतीजतन, जू प्रशासन के सामने कमाई का संकट खड़ा हो गया। कुछ बैंक बैलेंस से कुछ माह खिंच गए। लेकिन संकट कम नहीं हुआ। बहरहाल, जू प्रशासन के प्रयासों के अब शहरवासी बेजुबानों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। यही कारण रहा चंद दिनों की मेहनत के बाद 18 लोगों ने सवा लाख रुपये की मदद करते हुए जू प्रशासन के खाते में बतौर अडॉप्शन राशी मुहैया करा दी है। जू प्रशासन को उम्मीद है कि आगे भी वन्य जीव प्रेमी वाइल्ड एनिमल्स के अडॉप्शन के लिए आगे आएंगे। इस बारे में जू की ओर से अपील भी की गई है।

इनको किया गया अडॉप्ट।

-लेपर्ड।

-मगरमच्छ।

-घिडि़याल।

-लव बर्ड।

-कोकोटेल बर्ड।

-संगानूर।

-मकाऊ।

-ऑस्ट्रिच।

-आउल।

मगरमच्छ के लिए सबसे महंगा डोनेशन

जू प्रशासन के अनुसार जू में सबसे ज्यादा मगरमच्छ के लिए एडॉप्शन हुआ है। जिसमें योगदान देने वालों ने 10 हजार रुपये एडॉप्शन के लिए दिए हैं। जबकि दूसरे नंबर पर लेपर्ड है। ऐसे ही ब‌र्ड्स व दूसरे एनिमल्स के लिए भी लोग आगे आए हैं।

करीब ढाई करोड़ ने नुकसान का अनुमान

कोरोनाकाल में दून जू को खासा कमाई का नुकसान उठाना पड़ा है। बताया गया है कि जहां गत वर्ष इसी सीजन में जू ने 2.3 करोड़ की कमाई की थी। इस बार उम्मीद थी कि ये रकम करीब ढाई करोड़ तक पहुंच जाती। लेकिन कोरोनाकाल की मार जू में मौजूद तक बेजुबानों पर भी पड़ी। जिस कारण उनके पेट भरने तक का संकट खड़ा हो गया।

आप योगदान करना चाहते हैं तो इन नंबर्स पर करें संपर्क

-9027174404

-9027070682 व्हाट्सएप

-जू बैंक अकाउंट नंबर--159301001016

जानवरों में 64 लाख प्रतिवर्ष का खर्च

एक अनुमान के अनुसार जू में मौजूद करीब साढ़े चार सौ वाइल्ड एनिमल्स के लिए प्रति वर्ष करीब 64 लाख रुपये के खर्च हुआ करता है। अकेले लेपर्ड पर 1.75 लाख रुपये प्रति माह का खर्च है। जबकि इस राशि में कार्मिकों की सैलरी शामिल नहीं है।

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लोग बेजुबानों की मदद के लिए आगे आ रहे हैं। जू प्रशासन की अपील भी है। इसके जरिए लोगों का वन्य जीव से जुड़ना भी बड़ी बात है। उम्मीद है कि कई लोग अडॉप्शन के लिए आगे आएंगे।

मोहन सिंह रावत, आरओ, दून जू