देहरादून, (ब्यूरो): ऑटोमोबाइल की कंपनी चली गई। लेकिन, अब हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट (एचएसआरपी) के लिए लोगों को परेशान होना पड़ रहा है। यहां तक कि लोगों का हाई सिक्योरिटी नंबर प्लेट न बन पाने के कारण मोटी रकम फाइन के तौर पर भी चुकाने को मजबूर होना पड़ रहा है। ऐसे वाहन चालाकों को अकेले दून ही नहीं, बल्कि, दूसरे शहरों में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

2012 से 2021 तक रही कंपनी को दी थी जिम्मेदारी
हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट बनाने के लिए आरटीओ को ओर से करीब चार वर्ष पहले लिक उत्सव रजिस्ट्रेशन प्लेट्स प्रा.लि। को जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इसके लिए फर्म को ऑनलाइन आवेदन मांगने थे, उसके बाद कंपनी को घर पर ही आने की व्यवस्था सौंपी गई थी। बताया गया है कि इस कंपनी की ओर वर्ष 2012 से 2021 तक नंबर प्लेट्स बनाए गए। ये भी बताया गया है कि ऐसे नंबर प्लेट्स बनाने व लगाने की सुविधा अभी तक आरटीओ व एआरटीओ ऑफिस के पास थी। लेकिन, दिसंबर-2021 में कंपनी का करार खत्म हो गया। जाहिर है कि जनवरी-2022 से कंपनी ने केवल नए वाहनों की नंबर प्लेट बनाने का ही अनुबंध किया। बदले में कंपनी नए वाहनों की नंबर प्लेट सीधे वाहन डीलरों को उपलब्ध करा रही है। जबकि, पुराने वाहनों के हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट नहीं उपलब्ध हो पा रहे हैं। ऐसे में इन वाहन चालकों व ओनर्स को खासी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।

ये गाडिय़ां रही मौजूद
-हार्डले डेविडसन
-शेवरोलेट
-मित्सोबिसी
-फोर्ड
-वॉक्सवॉगन

विभाग की लापरवाही इन पर भारी
दून में हाई सिक्योरिटी नम्बर प्लेट लगाने के लिए लोगों को आरटीओ के चक्कर काटने पड़ रहे हैं। लेकिन, नंबर प्लेट नहीं बदल पा रही है। वहीं, वाहन ओनर या फिर वाहन चालक दून से आउट ऑफ सिटी के लिए निकल रहे हैं। प्रॉपर नंबर प्लेट न होने पर उन्हें चालान भुगतने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।

केस वन
राजपुर निवासी फरीद ने हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट के लिए कई बार आवेदन किया। लेकिन, हर बार उन्हें निराशा हाथ लगी। 2 बार इन्हें यूपी बार्डर पर 2500-2500 रुपये का चालान भी भुगतना पड़ा। इसके बावजूद भी समस्या का समाधान नहीं हो सका। कई बार फैमिली के साथ जाने में फरीद को दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।

केस दो
सालावाला निवासी अमित के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। दिल्ली जा रहे थे, एचएसआरपी न होने के कारण चालान भुगतान करना पड़ा। जिसके बाद उन्होंने उत्तराखंड सरकार के सामने उन्होंने शिकायत दर्ज की। विभाग ने उनके चालान पर रिजेक्शन का भरोसा दिया। बावजूद इसके अमित को दून में भी दो बार 500-500 रुपए के दो चालान भुगतने पड़े।


ऐसे होते हैं हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट
-एल्युमीनियम की होती है एचएसआरपी प्लेट, लगा होता है होलोग्राम।
-होलोग्राम के नीचे ही होता है स्पेशल यूनिक लेजर कोड।
-वाहन में इंजन व चेसिस के नंबर के साथ वाहन स्वामी की होती है पूरी जानकारी।
-होलोग्राम को नहीं किया जाता है नष्ट।
-नंबर लिखा जाता है प्रेशर मशीन के जरिए।
-प्लेट लगने के बाद वाहन को आसानी से किया जा सकता है ट्रैक।
-अब प्लेट पर अब रजिस्ट्रेशन मार्क बनाने के भी निर्देश।
-इससे पता चला है कि ये वाहन डीजल है या फिर पेट्रोल का।
-हाई सिक्योरिटी प्लेट का फायदा, वाहन चोरी के ऊपर लगेगी लगाम।
-इस प्रकार से प्लेट को निकाल पाना भी आसान नहीं होता है।

वाहनों की संख्या 60 हजार तक पहुंची
आरटीओ ऑफिस की मानें तो दून आरटीओ डिविजन में जिन वाहनों को हाई सिक्योरिटी रजिस्ट्रेशन प्लेट की जरूरत है। उनकी संख्या 45 से 60 हजार के आसपास बताई जा रही है। जिन्हें एचएसआरपी के लिए कई चक्कर काटने पर पड़ रहे हैं।


हमारी ओर से जिन गाडिय़ोंं के डीलर यहां से छोड़कर जा चुके है। उनके लिए व्यवस्था बनाई गई है। वे आरटीओ की एसआईएम वेबसाइट पर जाकर आवेदन करें तो ऐसे वाहन चालकों को आसानी से सुविधा मिल जाएगी। इसके लिए दूसरे डीलर्स की मदद ली जा रही है।
-सुनील शर्मा, आरटीओ देहरादून

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