- शुरुआत में शौक या मजबूरी में लगती है नशे की लत

- फिर नशे की लत कर देती है लाइफ बर्बाद

- नशे का दिखे असर तो मोटिवेशन जरूरी

देहरादून,

नशे की पुडि़या किस तरह युवाओं को धीरे-धीरे अपनी जकड़ में लेती है कि वह फिर भी इस खतरे से लगातार खेलने को मजबूर हो जाता है। पुलिस के सामने आए दो केस से इसे समझा जा सकता है। पहला केस जनवरी 2020 में उत्तराखंड पुलिस ने एक युवक को स्मैक के साथ गिरफ्तार किया। उसने जब पुलिस को अपनी कहानी बताई तो युवाओं में नशे की बढ़ती प्रवृत्ति सामने आ गई। युवक ने बताया कि स्मैक के नशे ने उसकी जवानी छीन ली और वह नशेड़ी बना गया। इसके बाद हाईस्कूल में पढ़ाई के दौरान 14 साल की उम्र में पहले फ्लूड लेना शुरू किया और इसके बाद स्मैक। स्कूल के दोस्तों ने नशे के कई तरीके सिखा दिए। इन सबमें ज्यादा खतरनाक साबित हुआ स्मैक। एक बार स्मैक लेने के बाद सुबह से शाम तक नशा रहता है। पहले दोस्तों ने फ्री उपलब्ध कराया, इसके बाद स्कूल के लिए मिलने वाले जेब खर्च से खरीदने लगा। पैसे कम पड़े तो छोटी मोटी चोरी करने लगा। कई बार पुलिस भी पकड़कर ले जा चुकी है। आज हालत यह है कि चाहकर भी नशा नहीं छोड़ पा रहा हूं। पढ़ाई छूट चुकी है, घरवालों के साथ ही समाज भी दूसरी ²ष्टि से देखता है। युवक ने स्वीकारा कि पता नहीं था कि एक छोटी सी पुड़यिा मेरा भविष्य इस कदर बर्बाद कर देगा। यह एक उदाहरण है कि नशे की पुडिया किस तरह एक युवक की जिदंगी को कैद कर चुकी है।

प्यार ने बना दिया नशेड़ी

दूसरा पहलू फरवरी 2020 के एक केस से सामने आया जब पटेलनगर थाना इलाके में पुलिस ने क्लेमेंट टाउन स्थित एक प्राइवेट इंस्टीट्यूट के 25 वर्षीय स्टूडेंट को नशा तस्करी में अरेस्ट किया है। युवक ने बताया कि वह रामपुर से सस्ती स्मैक लाकर दून में महंगे दाम पर बेचता था। आरोपी होटल मैनेजमेंट फोर्थ इयर का स्टूडेंट था। पुलिस पूछताछ में उसने बताया कि गर्लफ्रैंड के खर्चे पूरे नहीं कर पा रहा था, ऐसे में उसने स्मैक तस्करी करना शुरू कर दिया और खुद भी नशे का आदी हो गया। युवक प्यार में पड़ा तो खर्चे पूरा करने के लिए नशा तस्कर बन गया। प्यार ने उसे नशेड़ी बना दिया। दून में नशे की जकड़ में आ चुके युवाओं को काउंस¨लग करने वाले क्लीनिकल साइक्लोजिस्ट डॉ। मुकुल शर्मा बताते हैं कि जब लाइफ में कोई फेलियर हो जाता है, तो वह सपोर्ट ढ़ूढ़ता है। इस तरह से नशा उस व्यक्ति के पास पहुंचने लगता है। इस समय कोई व्यक्ति उसकी मनोदशा को समझे तो वह अपने लेवल पर भी परामर्श कर ड्रग्स से छूटकारा दिला सकता है। जरुरत पड़ने पर उसे काउंस¨लग भी कराई जा सकती है। डॉ। मुकुल शर्मा ने बताया कि इंटनेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ साइकोमेट्रिक काउंसिल की सर्वे रिपोर्ट में यह चौंकाने वाली बात सामने आई कि अनलॉक के दौरान दून में 18 परसेंट ड्रग्स के मामले बढ़े हैं। इसके साथ ही यह बात भी सामने आई कि प्रेम प्रसंग में असफलता के कारण लोग नशे के आदी हो जाते हैं।

कैसे लगती है नशे की लत

- दोस्तों के साथ मौज मस्ती के दौरान

- घर से दूर अकेलेपन को दूर करने के लिए

- किसी तरह का मानसिक प्रेशर होने पर

- किसी तरह की परेशानी जिसका सॉल्यूशन नजर न आ रहा हो।

- पढ़ाई का प्रेशर नहीं झेल पाना।

- प्यार में असफल

- बेरोजगारी

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ऐसे करें मोटिवेट-

- ज्यादा बातचीत कर ध्यान भटकाना

- लाइफ के प्रेरक प्रसंग सुनाकर

- योगा, व्यायाम कर

- मोटिवेशनल स्पीच या मूवी दिखाकर

- डॉक्टर्स या काउंसलर की मदद लेकर

- घर, परिवार के साथ समय बिताकर