- पैसेंजर को दिया जा रहा मैनुअल टिकट

- ई टिकटिंग मशीनें खराब, नहीं हो सके टेंडर

देहरादून,

उत्तराखंड रोडवेज की बसों में मैनुअल टिकटिंग पर सवाल खड़े हो रहे हैं। रोडवेज प्रबंधन का कहना है कि ई-टिकटिंग मशीनें पुरानी होने के चलते परफॉर्म नहीं कर पा रही हैं, ऐसे में मैनुअल टिकटिंक की जा रही है। लेकिन, मैनुअल टिकट को लेकर सवारियां हंगामा कर रही हैं। सबसे बड़ी वजह यह है कि कई कर्मचारियों को ट्रेवल करने पर ट्रेवल फेयर मिलता है, लेकिन मैनुअल टिकट का प्रिंट ठीक न होने के कारण उनका फेयर क्लेम नहीं हो पा रहा। कई बार कंडक्टर पर ही आरोप लग रहे हैं कि वे किराया ज्यादा वसूल रहे हैं।

7 साल पुरानी मशीन 1 साल से खराब

उत्तराखंड रोडवेज की बसों में ई-टिकटिंग के लिए 7 साल पहले डिजिटल मशीनें खरीदी गई थीं। इनकी 5 वर्ष की वारंटी थी, लेकिन बताया जा रहा है अब अधिकांश मशीनें खराब हो चुकी हैं। ऐसे में टिकट मैनुअल बनाई जा रही हैं। उत्तराखंड रोडवेज में कुल 17 डिपो शामिल हैं। इन डिपो में कुल 1000 मशीनें हैं। हर डिपो को 75 से 150 डिवाइड दी गई हैं, जिनमें से 25 से 30 मशीनें हर डिपो की खराब बताई जा रही हैं। ऐसे में मैनुअल टिकटिंग की जा रही है।

पैसेंजर को धांधली का शक

ई टिकटिंग मशीनों से बने टिकट पर पैसेंजर ज्यादा भरोसा करते हैं। उन्हें यह यकीन रहता है कि

उनसे ज्यादा किराया नहीं लिया जा रहा और कंडक्टर किराये में खेल नहीं कर रहा। लेकिन, मैनुअल टिकट में यह समझ नहीं आता कि किराया कहां से कहां तक का लिया गया है, किस हिसाब से लिया गया है। पैसेंजर्स की शिकायत यह होती है कि कंडक्टर उनसे किराया तो पूरी दूरी का वसूल लेता है, लेकिन अपने लेजर में कम दूरी का मेंशन करता है। ऐसे में कुछ पैसे वह खुद की जेब में डाल देता है। वहीं मैनुअल टिकट में प्रिंट ठीक नहीं होता, जिससे वे इसे क्रॉसचेक नहीं कर पाते और किराया उनके संस्थान से क्लेम भी नहीं हो पाता।

नई मशीनों का नहीं हो पाया टेंडर

लॉकडाउन से पहले ही 1000 नई मशीनों की खरीद के लिए टेंडर प्रॉसेस शुरू की गई थी। रोडवेज मैनेजमेंट का दावा है कि मार्च में कोरोना लॉकडाउन के चलते प्रॉसेस आगे नहीं बढ़ पाई। ऐसे में नई मशीनें नहीं खरीदी जा सकीं। अब अनलॉक के बाद कंपनियों से संपर्क किया तो वे रिस्पॉन्स नहीं दे रहीं।

--------------

मैनेजमेंट को बार-बार रिमांइडर दिया जा रहा है कि ई-टिकटिंग की मशीनें खरीदी जाएं। मशीनें खराब हैं, बस स्टाफ मजबूरी में मैनुअल टिकट बना रहा है। कई बार पैसेंजर हंगामा कर रहे हैं जो बस स्टाफ को झेलना पड़ रहा है।

-अशोक चौधरी, महामंत्री, कर्मचारी यूनियन।

हमारी ओर से बार-बार कंपनी को रिक्वेस्ट की जा रही है। मार्च में टैंडर तो हुए लेकिन कोरोना संक्रमण के कारण हुए लॉकडाउन के चलते मशीनें उपलब्ध नहीं हो सकंी, जल्द ही व्यवस्था हो जाएगी।

- दीपक जैन, जीएम उत्तराखंड रोडवेज