- स्मार्ट ई-बसेस को लेकर पब्लिक में हिचकिचाहट बरकरार

- लग्जरी बस का किराया ज्यादा होने की आशंका ने नहीं बैठ रहे लोग

देहरादून

दून की सड़कों पर ई-बस चलाना फिलहाल तो देहरादून स्मार्ट सिटी के लिए घाटे का सौदा साबित हो रहा है। लग्जरी बस का ज्यादा किराया होने की आशंका से ज्यादातर लोग अब भी इस बस में बैठने के बजाय विक्रम या सिटी बसों से ही इस रूट पर सफर कर रहे हैं। फिलहाल 5 बसेस पर हर रोज करीब 18 हजार रुपये खर्च हो रहे हैं, लेकिन इनकम अभी करीब 3 हजार रुपये के आसपास ही है।

कंपनी को हर रोज 15 हजार

डीएससीएल ई-बसेज एवरीप्रेंस कंपनी के साथ किये गये एक कॉन्ट्रेक्ट के आधार पर चला रही है। बस, ड्राइवर और मेटेनेंस एवरीप्रेंस की तरफ से उपलब्ध करवा रही है। जबकि कंडक्टर डीएससीएल का है। कॉन्ट्रेक्ट के अनुसार कंपनी को प्रति बस प्रति किमी 16 रुपये 78 पैसे पेमेंट किया जाना है। एक अन्य शर्त के अनुसार हर बस को हर रोज 180 किमी की मिनिमम पेमेंट हर हाल में दी जानी है। यानी हर बस को हर रोज मिनिमम 3 हजार 20 रुपये की मिनिमम पेमेंट दी जानी है। ऐसे में डीएससीएल हर रोज एवरीप्रेंस कंपनी को 15 हजार 100 रुपये पेमेंट कर रही है। इसके अलावा 5 बसों के कंडक्टर्स की वेतन के रूप में हर रोज 3 हजार रुपये जोड़ दिये जाएं तो यह राशि करीब 18 हजार बनती है, जिसे डीएससीएल को हर रोज खर्च करना है।

इनकम अभी बहुत कम

देहरादून के लोगों को द्वारा ई-बसेस की अनदेखी किये जाने के कारण फिलहाल बसों से बहुत कम इनकम हो रही है। एक अनुमान के अनुसार फिलहाल करीब 3 हजार रुपये ही किराये के रूप में जमा हो पा रहे हैं। ज्यादातर बसें या तो खाली दौड़ रही हैं या फिर इनमें 5 से 7 सवारियां ही नजर आ रही हैं। डीएससीएल के अधिकारी भी मान रहे हैं कि ठीक तरह से प्रचार-प्रसार न किये जाने के कारण लोग किराये को लेकर गलतफहमी में हैं और ई-बसेस के बजाय दूसरे साधनों को इस्तेमाल कर रहे हैं।

1 घंटे में 17 किमी

ई-बसेस को आईएसबीटी से राजपुर तक का करीब 17 किमी रूट तय करने में एवरेज एक घंटे का समय लग रहा है। सुबह के समय बस यह रूट करीब 40 मिनट में पूरा कर रही है, जबकि पीक आवर्स में 1 घंटे 15 मिनट तक का समय लग रहा है। सिटी बस से इस रूट में डेढ़ से 2 घंटे का टाइम लगता है।

अभी लोग हिचकिचा रहे हैं। संभवत: लोगों को किराये को लेकर गलतफहमी हो रही है। बस पर अब मिनिमम किराया डिस्प्ले करने पर विचार किया जाएगा। प्रचार-प्रसार के भी कुछ और प्रयास करेंगे।

सूर्या कोटनाला, नोडल अधिकारी

ई-बस, डीएससीएल