-परिवहन निगम की वित्तीय हालत चल रही है काफी नाजुक

-पर्वतीय मार्गो पर हर साल करीब 25 करोड़ का घाटा

-आपदा में कार्य का 21 करोड़ रुपए गवर्नमेंट ने अभी तक नहीं दिया

DEHRADUN: प्रदेश में परिवहन का मुख्य साधन उत्तराखंड परिवहन निगम की बसें हैं, लेकिन जिस तरह से इन दिनों परिवहन निगम की हालत दिखाई दे रही है। उससे लगता है कि परिवहन निगम का पहिया कभी भी जाम हो सकता है। जिससे उत्तराखंड में परिवहन सेवाएं लड़खड़ा सकती है।

परिवहन का मुख्य साधन है प्रदेश में

प्रतिदिन परिवहन निगम की बसों में करीब भ्0 हजार से अधिक कर्मचारी सफर करते हैं, जिनमें अकेले दून के आईएसबीटी से तकरीबन क्0 यात्री सफर करते हैं। ऐसे में आवागमन की सेवाएं ठप होने से इन्हें भी झटका लग सकता है।

इन परेशानियों का करना पड़ रहा सामना

पर्वतीय मार्गो पर- परिवहन निगम को पर्वतीय मार्गो पर बसों के संचालन में हर साल तकरीबन ख्भ् करोड़ रुपए का घाटा हो रहा है। क्योंकि पर्वतीय मार्गो पर डीजल खपत, गाड़ी के मेंटेनेंस में ज्यादा खर्चा हो रहा है।

ग्रेज्युटी का ख्ख् करोड़ अटका हुआ

जुलाई वर्ष ख्0क्फ् से परिवहन निगम में सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों को अभी तक ग्रेज्युटी का ख्ख् करोड़ रुपए नहीं मिल पाया। यह निगम मुख्यालय में अटका हुआ है। वर्ष ख्0क्फ् में उत्तराखंड में आई दैवीय आपदा में सरकार के निर्देशानुसार परिवहन निगम ने काफी काम किया। इस दौरान दैवी आपदा में प्रभावित और उनके परिजनों को परिवहन निगम ने अपनी बसों में नि:शुल्क यात्रा करवाई। इसके तहत तकरीबन ख्क् करोड़ रुपए सरकार ने परिवहन निगम को देने हैं, लेकिन यह राशि अभी तक परिवहन निगम को नहीं मिल पाई।

पा‌र्ट्स का पैसा भी नहीं पहुंचा

वर्तमान में परिवहन निगम के वर्कशॉप में पा‌र्ट्स की काफी कमी है। परिवहन निगम को पा‌र्ट्स कंपनियों को करीब 7 करोड़ रुपए देने हैं। इसके बाद ही कंपनियां निगम को पा‌र्ट्स उपलब्ध कराएंगी। वर्तमान कांग्रेस सरकार ने विधानसभा चुनाव के समय अपने मेनिफेस्टो में प्रदेश में परिवहन सुविधाएं मजबूत करने के लिए परिवहन निगम को हर साल ख्भ् करोड़ रुपए का बजट अलग से स्वीकृत करने की भी घोषणा की थी, लेकिन यह वादा सिर्फ घोषणा बन कर ही रह गया। हालांकि हाल ही में सरकार ने परिवहन निगम को ऋण के रूप में दी गई धनराशि में से तकरीबन क्भ्8.8फ् करोड़ की धनराशि को माफ जरूर किया।

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यह सच है कि परिवहन निगम की वित्तीय स्थिति काफी कमजोर चल रही है। पर्वतीय मार्गो पर सबसे अधिक घाटा हमें उठाना पड़ रहा है। बसों के मेंटेनेंस और संचालन पर पर्वतीय मार्गो पर काफी मात्रा में खर्च वहन करना पड़ता है। बगैर गवर्नमेंट की मदद से परिवहन सुविधाओं को जुटाना बहुत मुश्किल है।

-दीपक जैन, महाप्रबंधक संचालन व तकनीकी, उत्तराखंड परिवहन निगम

प्रदेश में अगर परिवहन निगम को बनाए रखना है, सरकार को आर्थिक रूप से लगातार मदद करनी होगी। क्योंकि बिना सरकारी मदद के परिवहन निगम का पहिया आगे नहीं बढ़ सकता है। दैवी आपदा में परिवहन निगम ने प्रभावितों को नि:शुल्क बसों में सफर कराया है जिसका पैसा करीब ख्क् करोड़ रुपए अभी तक सरकार ने निगम को नहीं दिया है। इसके अलावा मेनिफेस्टो में भी प्रतिवर्ष ख्भ् करोड़ रुपए निगम को देने का वादा था। जो आज तक पूरा नहीं हुआ।

-रामचंद्र रतूड़ी, प्रदेश महामंत्री, रोडवेज कर्मचारी संयुक्त परिषद् उत्तराखंड