देहरादून (ब्यूरो): सचिव आपदा प्रबंधन ने सिंचाई विभाग उत्तराखंड, सिंचाई विभाग उत्तर प्रदेश, केंद्रीय जल आयोग, आपदा प्रबंधन विभाग के अधिकारियों को आपसी समन्वय के साथ बाढ़ प्रबंधन योजना पर कार्य करने के निर्देश दिए। कहा, केंद्रीय जल आयोग वेबसाइट में सभी बड़ी नदियों के वाटर लेवल की रिपोर्ट हर घंटे अपडेट करे। सचिव ने कहा कि नदियों के जल स्तर व जल प्रवाह की जानकारी के आधार पर बाढ़ से प्रभावित हो सकने वाले मैदानी क्षेत्रों के लिये चेतावनी की व्यवस्था मजबूत हो। जिससे समय रहते प्रभावित हो सकने वाले लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाये जा सके।

4 स्थानों से ही मिलती है जानकारी
सचिव के अनुसार केन्द्रीय जल आयोग द्वारा उत्तराखंड में मात्र चार स्थान रुद्रप्रयाग, श्रीनगर, ऋषिकेश व हरिद्वार के लिये बाढ़ पूर्वानुमान से संबंधित जानकारियां उपलब्ध करवाई जाती हैं। कुमाऊं मंडल में किसी भी क्षेत्र के लिये बाढ़ पूर्वानुमान से संबंधित कोई भी सूचना उपलब्ध नहीं करवायी जाती है। उन्होंने केन्द्रीय जल आयोग के अधिकारियो को निर्देशित करते हुए कहा कि कुमाऊं मंडल की प्रमुख नदियों में भी बाढ़ पूर्वानुमान व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। कहा, केंद्रीय जल आयोग के कुमाऊं डिविजन, आपदा प्रबंधन कार्यालय दून में भी सूचनाओं के आदान-प्रदान किया जाए। भारतीय सर्वेक्षण विभाग से संपूर्ण राज्य के डिजिटल टोपेग्राफिक मानचित्र प्राप्त कर मानचित्र पर आंकड़ों को रेखांकित किया जाए। आंकड़ों को भी जीआईएस मैप पर अपडेट किए जाएं। जिससे नदियों के जलस्तर के अनुसार आबादी वाले क्षेत्रों के लिए पूर्व में ही सटीक चेतावनी जारी की जा सके।
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