-पलटन बाजार में दुकानों के बाहर 800 से 1500 रुपये हर रोज के हिसाब से बिकता है फुटपाथ

-सहारनपुर से सस्ते कपड़े और दूसरे सामान बेचने वालों से दी जाती है जगह

-कई दुकानदार माल बेचने से ज्यादा फुटपाथ बेचकर कमाते हैं पैसा

देहरादून

कहां है हमारा फुटपाथ अभियान को लेकर दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने सिटी के सबसे व्यस्त और भीड़-भाड़ वाले पलटन बाजार की पड़ताल की तो कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आये। हालांकि इन दिनों ब्यूटीफिकेशन के लिए पूरी मार्केट खोद दी गई है। इससे यहां व्यापारियों का बिजनेस प्रभावित हुआ है। इसके बावजूद पलटन बाजार में अब भी फुटपाथ बिक रहे हैं। इतना ही फुटपाथ पर रोजाना के हिसाब से खरीदी जाने वाली जगह के आधार पर रेहड़ी व्यवसायियों के लोकल फाइनेंसर्स से लोन भी मिलता है।

800 से 1000 पर डे रेट

दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने रेहड़ी व्यवसायी बनकर दुकान के बाहर सस्ते कपड़ों की छोटी रेहड़ी लगाने के लिए सौदा करने की बात कही तो कुछ दुकानदारों से पुलिस की ओर से की जाने वाली सख्ती का हवाला दिया तो कुछ ने ब्यूटीफिकेशन का काम पूरा होने की बात कही। हालांकि ऐसे दुकानदारों की भी कमी नहीं है, जो इस तरह से रेहड़ी के धंधे को ठीक नहीं मानते। वे कहते हैं कि इससे मार्केट बदसूरत होता है और उनका व्यापार भी प्रभावित होता है। कुछ दुकानदारों ने कहा कि फुटपाथ पर रेहड़ी लगाने का रेट रेहड़ी के साइज और सामान के हिसाब से 800 रुपये से लेकर 1500 रुपये तक है।

ये सामान बिकता है फुटपाथ पर

-सस्ते दाम पर कुर्ती और लैगिंग्स

-बच्चों के कपड़े

-लेडीज और जेंट्स बैग और वॉलेट्स

-सस्ती घडि़यां और चश्मे

-सस्ता कॉस्मेटिक्स का सामान

-सस्ते जूते और चप्पलें

-अंडरगारमेंट्स और सॉक्स

-सस्ती बेडशीट और चादरें

जगह देखकर फाइनेंस

चौंकाने वाला तथ्य यह भी सामने आया कि रेहड़ी व्यवसायियों को फुटपाथ पर खरीदी गई जगह के आधार पर कुछ लोग फाइनेंस भी करते हैं। जितनी ज्यादा जगह और सामान होता है, उसी हिसाब से आसानी से और ज्यादा फाइनेंस मिल जाता है। आमतौर पर फाइनेंसर 100 दिन के लिए 20 परसेंट पर फाइनेंस करते हैं। यदि कोई व्यवसायी 20 हजार रुपये कर्ज लेता है तो फाइनेंसर अपना 20 परसेंट ब्याज यानी 4 हजार रुपये काटकर अमाउंट देता है। व्यवसायी 100 दिन में 20 हजार रुपये चुकाकर फिर से कर्ज ले सकता है।

कई बार चला अभियान

पलटन बाजार में फुटपाथ घेरने के खिलाफ नगर निगम और पुलिस कई बार अभियान चला चुके हैं। ऐसे अभियान का असर आमतौर पर कुछ घंटे से लेकर कुछ दिन तक ही रहता है। अभियान खत्म होते ही फिर से रेहड़ी व्यवसायी फिर से फुटपाथ पर जम जाते हैं।

माल से ज्यादा रकम फुटपाथ से

पलटन बाजार की पड़ताल के दौरान एक खास बात यह भी सामने आई कि कुछ दुकानदार इस मार्केट में ऐसे भी हैं जो माल बेचने के बजाय फुटपाथ बेचकर ज्यादा पैसा कमाते हैं। ऐसे दुकानदार आमतौर पर बुजुर्ग हैं। जो सुबह दुकान खोल देते हैं। उनकी दुकान पर कभी कोई कस्टमर आ जाए ठीक है, वरना वे दुकान के बाहर एक या दो लोगों को फुटपाथ पर बिठाकर रोज एक से दो हजार रुपये कमा लेते हैं।

क्या कहते हैं व्यवसायी

फुटपाथ में दुकान लगाने से हमें तो नुकसान होता ही है, कस्टमर्स को भी नुकसान होता है। हमारे पास जो आइटम 100 रुपये का होता है, फुटपाथ पर 60 में मिल जाता है। लेकिन क्वालिटी वैसी नहीं होती।

सुनील अरोड़ा, व्यवसायी

कुछ दुकानदार फुटपाथ बेचकर ही गुजारा कर रहे हैं। दुकान में बिक्री हो या न हो, शाम को फुटपाथ के रेहड़ी वाले से रकम उठा लेते हैं। कुछ दुकानें तो केवल फुटपाथ बेचने के लिए ही चलाई जा रही हैं।

अनिल गोयल, व्यवसायी

फुटपाथ पर दो तरह से कब्जा है। कुछ दुकानदार अपना सामान ही दुकान से कुछ आगे लगाते हैं और सहारनपुर आदि जगहों से सस्ता सामान लाकर बेचने वालों से किराये वसूलते हैं। किराया लेकर फुटपाथ बेचने वालों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए।

जुनैद, व्यवसायी

छोटी सी रेहड़ी वाला जब एक दिन में 1000 से 1500 रुपये देता है तो अंदाजा लगाया जा सकता है कि वह कस्टमर्स को कितना लूटता है। वे जो सामान बेचते हैं, वह किलो के भाव मिलता है, वे दुकान पर मिलने वाले सामान से आधी कीमत में बेचते हैं। अच्छा सामान बेचने वाले दुकानदारों को नुकसान होता है।

गौरव गुप्ता, व्यवसायी