- दून की एक और ईएसआई डिस्पेंसरी के रियेलिटी चेक

- नेहरू कॉलोनी के डिस्पेंसरी तक पहुंचना नहीं आसान

देहरादून

देहरादून में राज्य कर्मचारी बीमा निगम की डिस्पेंसरीज की पड़ताल के तहत दैनिक जागरण आई नेक्स्ट की टीम एक और डिस्पेंसरी में पहुंची। हालांकि इस डिस्पेंसरी तक पहुंचना आसान नहीं है। जिन कर्मचारियों को यह डिस्पेंसरी अलॉट की जाती है, उनके दो से तीन दिन डिस्पेंसरी को ढूंढ़ने में ही लग जाते हैं। डिस्पेंसरी के फुल एड्रेस नियर एसबीआई, नेहरू कॉलोनी, देहरादून है, लेकिन नेहरू कॉलोनी में एसबीआई की दो से तीन ब्रांच हैं। यह किस ब्रांच के नियर है, यह तो यहां पहुंचने के बाद भी पता नहीं चल पाता, क्योंकि इसके आसपास एसबीआई की कोई ब्रांच ही नहीं है।

दो दिन लगे ढूंढ़ने में

डिस्पेंसरी में पहली बार आये एक व्यक्ति ने बताया कि उसका ईएसआई कार्ड कुछ महीने पहले ही बना है। उसे यह डिस्पेंसरी अलॉट की गई थी। नेहरू कॉलोनी उसके घर से ज्यादा दूर नहीं है। उसे लगा कि घर से आसानी से पहुंच जाएगा। अब जब अचानक डिस्पेंसरी की जरूरत पड़ी तो दो दिन ढूंढ़ने में ही लग गए। कई लोगों से पूछा, लेकिन कोई ठीक से लोकेशन नहीं बता पाया। ज्यादातर लोगों को इस डिस्पेंसरी तक पहुंचने में इसी तरह की कठिनाई उठानी पड़ती है।

गली के अंदर है डिस्पेंसरी

आमतौर पर ऐसी डिस्पेंसरी मुख्य सड़क अथवा आसानी से पहुंच वाली जगहों पर बनाई जाती हैं, लेकिन यह डिस्पेंसरी मुख्य सड़क से काफी अंदर गली में है और आसपास रिहायशी भवन हैं। हालांकि एक बार डिस्पेंसरी की लोकेशन मालूम हो जाने के बाद यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट से पहुंचा जा सकता है। लेकिन लोकेशन मालूम न होने की स्थिति में कई बार डिस्पेंसरी के बाहर की मुख्य सड़क पर कई चक्कर काटने के बाद भी डिस्पेंसरी तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है।

बिल्डिंग के नहीं पैरामीटर्स

जिस तरह की लोकेशंस में ईएसआई डिस्पेंसरी स्टेबलिस्ट की गई हैं, उसे देखकर लगाता है कि बिल्डिंग सिलेक्ट करने के लिए कोई पैरामीटर्स ही नहीं हैं और हैं भी तो उनका पालन नहीं किया जाता। आमतौर में डिस्पेंसरी ऐसी जगह बनाई जाती हैं, जहां पहुंचना आसान हो और पब्लिक ट्रांसपोर्ट से पहुंचना संभव हो, लेकिन दून के ईएसआई डिस्पेंसरियों के मामले में ऐसा नजर नहीं आ रहा है। डिस्पेंसरी के डॉक्टर्स भी इस मामले में कोई स्पष्ट जानकारी नहीं दे पाते।

रोज एवरेज 50 ओपीडी

नेहरू कॉलोनी की ईएसआई डिस्पेंसरी में टीएचडीसी की तरह लंबी लाइन नजर नहीं आई। इस डिस्पेंसरी में रोज एवरेज 40 से 50 ओपीडी होती हैं। डिस्पेंसरी में बैठने की ठीक-ठाक व्यवस्था नजर आई। पेशेंट और उनके अटेंडेंट आराम से बैठकर अपनी बारी का इंतजार कर सकते हैं। यहां पर्ची बनाने, डॉक्टर से मिलने और मेडिसिन लेने के लिए लंबी लाइन नहीं लगानी पड़ती।

बिल पास करने में परेशानी

मेडिसिन के बिल पास करवाने के मामले में यहां भी कर्मचारियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मेडिकल स्टोर से खरीदी गई मेडिसिन का बिल लेने के लिए आये एक कर्मचारी ने बताया कि उसने बिल इस डिस्पेंसरी के डॉक्टर से पास करवा दिया था। इसके बाद उसे मसूरी रोड में मक्कावाला स्थित ऑफिस जाने के लिए कहा गया, लेकिन वहां कोई ऑफिस नहीं मिला। इसलिए वह फिर से यहां आया है, ताकि यहीं से उसका बिल भेज दिया जाए।