- एसटीएफ के रडार पर दून की दर्जनों प्लेसमेंट एजेंसी

- विदेश भेजे गए लोगों में ज्यादातर नेपाली होने के इनपुट

- आर्मी के फेक डॉक्यूमेंट बनाकर विदेश भेजने का मामला

देहरादून,

आर्मी के फेक डॉक्यूमेंट बनाकर लोगों को रिटायर्ड आर्मी पर्सन दिखाकर विदेश में नौकरी दिलाने वाले गिरोह नेपाली मूल के लोगों को ज्यादा टारगेट बनाते थे। एसटीएफ की पड़ताल में ज्यादातर ऐसे लोगों की पहचान हुई जो नेपाली मूल के हैं। नेपाली दून में रोजगार की तलाश में आते हैं। यह गिरोह ऐसे जरूरतमंदों से पैसे ऐंठकर फर्जी आर्मी का कार्ड बनाकर प्लेसमेंट एजेंसी के माध्यम से विदेश में नौकरी के लिए भेजते थे। एसटीएफ की रडार अब ऐसे प्लेसमेंट एजेंसी भी है, जो विदेश में नौकरी के लिए कैंडीडेट को सुविधाएं प्रोवाइड कराते हैं।

प्लेसमेंट एजेंसी के खंगाले जा रहे रिकॉर्ड

एसटीएफ ने 3-4 ऐसे प्लेसमेंट एजेंसी का रिकॉर्ड खंगालना शुरू कर दिया है। दून में दर्जनों प्लेसमेंट एजेंसी हैं जो विदेश में नौकरी दिलाने का दावा करती है। एसटीएफ की पकड़ में आए फर्जी गिरोह के किन-किन प्लेसमेंट सेल से कनेक्शन जुड़े थे, इस पर भी एसटीएफ काम कर रही है। एसटीएफ के एसएसपी अजय सिंह ने बताया कि प्लेसमेंट एजेंसियों के रिकॉर्ड भी खंगाले जा रहे हैं। जिसके बाद एक डेटा तैयार किया जाएगा। इस डेटा को पकड़े गए आरोपियों से क्रॉस चेक करवाया जाएगा। जिससे विदेश भेजे गए कैंडीडेट्स के बारे में इनपुट जुटाए जाएंगे। अजय सिंह ने बताया कि 2-3 दिनों में गिरोह के कनेक्शन और इस पूरे खेल का पर्दाफाश किया जाएगा।

फर्जी पासपोर्ट का भी वेरिफिकेशन

पकड़े गए गिरोह के सदस्यों की पूछताछ और बरामद सामान के बाद एसटीएफ के हाथ कुछ फर्जी पासपोर्ट लगे हैं। जिन्हें बरेली वेरिफिकेशन के लिए भेजा गया है। एसटीएफ विदेश भेजे गए लोगों के बारे में बारीकी से जांच कर रही है, जिससे उन लोगों तक पहुंचा जा सके, जो इस गिरोह के माध्यम से विदेश गए हैं। पासपोर्ट के आधार पर एसटीएफ को बड़ी लीड मिलने की उम्मीद जताई जा रही है।

प्रधान ही था मास्टरमाइंड

आर्मी के फर्जी डॉक्यूमेंट तैयार कर बेरोजगारों को विदेश पहुंचाने वाले गिरोह का मास्टरमाइंड राजपुर क्षेत्र का जोहड़ी गांव रह चुका रघुबीर ही पाया गया है। रघुबीर सिंह खुद आर्मी से रिटायर्ड है। जो कि आर्मी में रहकर इन सभी बारीकियों को समझता था, साथ ही आर्मी के डॉक्यूमेंट के बारे में भी सटीक जानकारी रखता था। रघुबीर आर्मी से रिटायर्ड होने के बाद गांव का प्रधान भी रहा, इसके बाद उसने बेरोजगारों को टारगेट कर विदेश भेजने का फर्जी काम शुरू किया, जिससे अच्छी खासी कमाई हो जाती थी। विदेश जाने की इच्छा जताने वाले लोगों से 40 से 50 हजार फर्जी कार्ड बनाने का यह गिरोह पैसा वसूलते थे, इसके बाद प्लेसमेंट एजेंसी से मिलाकर विदेश भेजने की प्रक्रिया शुरू करवाते थे, इसके फर्जी पासपोर्ट भी बनाकर दिलाते थे। इस पूरे फर्जी खेल में लाखों रूपए की कमाई की जाती थी।

इंडियंस की विदेश में ज्यादा डिमांड

विदेशों में नौकरी में एशियन कंट्री के लोगों की ज्यादा डिमांड है। इनको ज्यादा सैलरी भी नहीं चुकानी पड़ती है। इंडियन आर्मी से रिटायर्ड लोग ज्यादा अनुशासित और वैल ट्रेंड होते हैं। इसके अलावा नेपाल के कई बेरोजगार भी यहां रोजगार की तलाश में आते हें। जिनके फर्जी आर्मी कार्ड बनाकर प्लेसमेंट एजेंसी के जरिए विदेश में भेज दिया जाता था, जिनको ठीकठाक सैलरी मिल जाती थी।

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जांच के दौरान कुछ पासपोर्ट मिले हें। इन पासपोर्ट के बारे में जानकारी जुटाई जा रहा है। प्लेसमेंट एजेंसी के भी रिकॉर्ड खंगाले जा रहे हैं। जल्द ही बड़ी लीड मिलने की उम्मीद है।

अजय सिंह, एसएसपी, एसटीएफ