- दून में लगातार बढ़ रहा ट्रैफिक का दबाव है जाम का सबसे बड़ा कारण

- सड़कों की चौड़ाई और लंबाई पहले जैसी, विस्तारीकरण ही उपाय

- 30 व्हीकल पर मिनट है दून की सड़कों की कैपेसिटी

- 160 व्हीकल पर मिनट का लोड है रोड्स पर

- 5 गुना से ज्यादा लोड है रोड्स पर

- 5 साल में डबल हो गया दून का ट्रैफिक

- 10 लाख से ज्यादा व्हीकल रजिस्टर्ड हैं दून में

देहरादून

दून की सड़कों पर जाम लगना अब आम बात हो गई है। कुछ सड़कों पर पीक आवर्स में जाम लगता है तो कुछ पर फेस्टिव सीजन में, लेकिन दून में कुछ सड़कें ऐसी भी हैं, जहां सुबह से शाम तक लगातार जाम लगा रहता है। आमतौर पर हम जाम को ट्रैफिक पुलिस की अव्यवस्था मान लेते हैं, लेकिन वास्तव में इस जाम का असली कारण वाहनों की लगातार बढ़ती संख्या है। पिछले 5 वर्षो के दौरान दून में व्हीकल्स की संख्या दो गुनी बढ़ी है, जबकि सड़कों की लंबाई और चौड़ाई पहले जैसी ही है।

रोड पर 5 गुना ज्यादा लोड

ट्रैफिक पुलिस ने दून की रोड कैपसिटी 30 व्हीकल पर मिनट आंकी है, लेकिन यहां की सड़कों पर प्रति मिनट 160 व्हीकल चल रहे हैं। यानी की सिटी की सड़कें अपनी कैपेसिटी ने 5 गुना ज्यादा उठा रही हैं। ट्रैफिक पुलिस इस बढ़ते लोड को जाम का सबसे बड़ा कारण मानती है।

चौड़ाई बढ़ाना नहीं संभव

ट्रैफिक पुलिस के अधिकारियों की माने तो दून में ट्रैफिक जाम से निपटने के लिए अब एक ही रास्ता है कि सड़कों की चौड़ाई बढ़ाई जाए और कुछ नये वैकल्पिक मार्ग बनाये जाएं। लेकिन, सिटी में अब न तो किसी सड़क की चौड़ाई बढ़ाने की गुंजाइश है और न वैकल्पिक मार्ग बनाने की। जिन कुछ वैकल्पिक रोड पर बात चल रही है, उनसे भी बहुत ज्यादा फायदा होने की संभावना नहीं है।

भंडारीबाग आरओबी से कुछ उम्मीद

फिलहाल ट्रैफिक जाम से बेहाल दून की एक छोटी से उम्मीद भंडारीबाग रेलवे ओवर ब्रिज है। इस प्रपोज्ड आरओबी से पटेलनगर रेसकोर्स से जुड़ जाएगा। यदि यह आरओबी जल्दी बन जाए तो सहारनपुर चौक, आढ़त बाजार और प्रिंस चौक पर पड़ने वाला लोड कुछ कम हो सकता है। लेकिन, हर महीने दून में बढ़ रही व्हीकल्स की संख्या इस आरओबी के बनने तक इतनी बढ़ जाएगी की लोड कम होना तब भी संभव नहीं हो पाएगा।

दून में 10 लाख से ज्यादा व्हीकल

देहरादून जिले में फिलहाल 10 से ज्यादा व्हीकल रजिस्टर्ड हैं। इनमें सबसे ज्यादा व्हीकल दून सिटी में ही हैं। पिछले 5 वर्षो में दून में रजिस्टर्ड व्हीकल्स की संख्या 8 गुना बढ़ गई है। पिछले वर्ष ज्यादातर समय कोविड लॉकडाउन के बावजूद करीब 48 हजार व्हीकल रजिस्टर्ड हुए। जबकि इससे पहले वर्ष 2019 में रिकॉर्ड 75 हजार नये व्हीकल दून की सड़कों पर उतरे। इनमें सबसे ज्यादा दोपहिया वाहन शामिल हैं।

मैन पावर भी हुई कम

दून के व्हीकल्स की संख्या बढ़ने के साथ ट्रैफिक पुलिस में मैन पावर में भी कमी आई है। ऐसे में जाम लगने पर स्थिति का संभाल पाना ट्रैफिक पुलिस के लिए मुश्किल हो रहा है। वर्ष 2016 में दून में ट्रैफिक पुलिस के पास 250 होमगार्ड थे, लेकिन अब केवल 87 होमगार्ड के जवान ट्रैफिक व्यवस्था संभालने में मदद कर रहे हैं।

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यह सच्चाई है कि दून में अब व्हीकल्स की संख्या सिटी की कुल कैपसिटी से काफी ज्यादा हो गई है। लोग वाहन खरीदेंगे तो उन्हें सड़कों पर ही चलाएंगे। सड़कों पर अब इतनी जगह बाकी नहीं रह गई है कि इतनी बड़ी संख्या का व्हीकल्स का लोड वहन कर सके। हम प्रयास कर सकते हैं और हर रोज हम पूरे प्रयास के साथ जाम से निपटने का प्रयास कर रहे हैं।

स्वप्न किशोर सिंह, एसपी ट्रैफिक