- पटेलनगर पुलिस ने दो आरोपियों को कालाबाजारी के आरोप में किया अरेस्ट

- 1 हजार रुपये कीमत वाले फ्लो मीटर के वसूल रहे थे 15 हजार रुपए

देहरादून,

कोरोनाकाल में दवाइयां और जरूरी उपकरणों की कालाबाजारी ने लोगों की मुश्किलें कई गुना बढ़ा दीं, जो कि थमने का नाम नही ले रहीं। लगातार शिकायतें आने के बाद प्रशासन भी एक्शन मोड में आ गया है। पुलिस और प्रशासन ने टीमें बनाकर पब्लिक को ठगने वालों पर एक्शन लेना शुरू कर दिया है। एक्शन स्टार्ट होते ही आए दिन कालाबाजारी करने वाले पकड़े जा रहे हैं। वेडनसडे देर रात पटेलनगर थाना पुलिस ने दो आरोपियों को ऑक्सीजन फ्लोमीटर की कालाबाजारी के आरोप में अरेस्ट किया है। दोनों आरोपी 1000 रुपये कीमत वाले ऑक्सीजन फ्लोमीटर के लिए जरूरतमंदों से 15 हजार रुपये तक वसूल रहे थे। आरोपियों की पहचान प्रिंस कांबोज निवासी सहारनपुर (उत्तर प्रदेश) और शिवम कुमार निवासी त्यागी रोड, देहरादून के रूप में हुई। पुलिस ने दोनों के खिलाफ केस दर्ज कर उनसे बरामद ऑक्सीजन फ्लोमीटर सीएमओ के सुपुर्द कर दिए हैं।

कस्टमर बन पहुंची पुलिस तो खुलासा

कोरोना से संबंधित दवाइयां और उपकरणों की कालाबाजारी रोकने के लिए पुलिस की अलग-अलग टीमें गठित की गई हैं। वेडनसडे रात बाजार चौकी इंचार्ज विवेक भंडारी के नेतृत्व में एक टीम सादे कपड़ों में अस्पतालों की जांच करने के लिए भेजी गई थी। इसी दौरान टीम को एक व्यक्ति ने सूचना दी कि दो लोग क्षेत्र में ऑक्सीजन फ्लोमीटर की कालाबाजारी कर रहे हैं। पुलिस को दोनों व्यक्तियों का मोबाइल नंबर भी दिया। चौकी इंचार्ज ने खुद ग्राहक बनकर उनमें से एक व्यक्ति को फोन किया और ऑक्सीजन फ्लो मीटर खरीदने की बात कही। उसने एक ऑक्सीजन फ्लोमीटर की कीमत 15 हजार रुपये बताई। जिसे वह चौकी इंचार्ज के काफी कहने पर साढ़े 12 हजार रुपये में देने के लिए तैयार हुआ। इसकी डिलीवरी के लिए उसने चौकी इंचार्ज को निरंजनपुर सब्जी मंडी के पास बुलाया। चौकी इंचार्ज टीम के साथ मौके पर पहुंच गए। कुछ ही देर में दोनों व्यक्ति भी वहां हरियाणा नंबर की कार से पहुंच गए। उन्होंने जैसे ही चौकी इंचार्ज को फ्लो मीटर की डिलीवरी लेने के लिए फोन किया, आसपास मौजूद पुलिसकर्मियों ने उन्हें दबोच लिया। पुलिस को उनके पास से 6 ऑक्सीजन फ्लो मीटर मिले। पूछताछ में आरोपियों ने बताया कि वे फ्लोमीटर चंडीगढ़ से लेकर आते थे। जहां एक ऑक्सीजन फ्लोमीटर एक हजार रुपये का मिलता था। कुछ फ्लोमीटर वह अस्पताल में सप्लाई करते थे और बाकी बाजार में महंगे दाम पर बेचते थे।

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रेमडेसिविर की कालाबाजारी, शासन सख्त

प्रशासन ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी को लेकर सख्त रुख अपनाया है। शासन ने सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर्स को निर्देश दिए हैं कि वे संबंधित क्षेत्र के मेडिकल स्टोर में इसकी आपूर्ति और कीमत को लेकर समय-समय पर जांच करें। इसकी जमाखोरी और अधिक कीमत पर बेचे जाने के मामले संज्ञान में आने पर संबंधित मेडिकल स्टोर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

ड्रग इंस्पेक्टर्स लें एक्शन

प्रदेश में कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। इसके इलाज में रेमडेसिविर इंजेक्शन का प्रयोग हो रहा है। इस कारण इसकी तेजी से मांग बढ़ी है। प्रदेश सरकार के अनुरोध पर बीते 15 दिनों में केंद्र सरकार ने प्रदेश को तकरीबन 20 हजार रेमडेसिविर इंजेक्शन उपलब्ध कराए हैं। इसकी बढ़ती मांग को देखते हुए शासन ने इसका वितरण अपने हाथों में लिया हुआ है और नियत संख्या में अस्पतालों व मेडिकल स्टोर तक रेमडेसिवीर की सप्लाई की जा रही है। यहां तक कि इसकी कीमत भी शासन द्वारा तय की गई है। बावजूद इसके कालाबाजारी की शिकायतें लगातार आ रही हैं। इसे देखते हुए शासन ने सभी जिलों के ड्रग इंस्पेक्टर्स को इसकी बिक्री पर नजर रखने के निर्देश दिए हैं। हेल्थ सेक्रेटरी डॉ। पंकज कुमार पांडेय द्वारा जारी आदेश के अनुसार रेमडेसिविर का वितरण और बिक्री केंद्र व प्रदेश सरकार द्वारा तय मानकों के अनुसार ही की जाएगी। ड्रग इंस्पेक्टर समय-समय पर मेडिकल स्टोर पर इसकी जांच करेंगे। वे यह भी देखेंगे कि इसमें क्यूआर कोड सही तरीके से लगा हुआ है या नहीं।