देहरादून ब्यूरो। एसटीएफ के एसएसपी आयुष अग्रवाल ने बताया कि ट्रांजिट कैम्प रुद्रपुर निवासी एक व्यक्ति से साइबर अपराधियों ने एक फर्जी ट्रेडिंग वेबसाइट और उसी वेबसाईट के नाम से बनी दो फर्जी जी मेल एकाउंट और फर्जी आईडी के मोबाइल नम्बरों से सम्पर्क गेन्स मोर ब्रोकिंग कंपनी में इन्वेस्टमेंट करने का झांसा दिया था। साइबर ठगों ने उससे 14 लाख रुपये से अधिक की धोखाधड़ीकी। साइबर ठगों पीडि़त से पहले ज्यादा मुनाफे का लालच देकर एंगल ब्रोकिंग एप पर डीमेट एकाउंट खुलवाकर ट्रेडिंग चालू करायी। बाद में एप्लिकेशन के ठीक से काम न करने की बात कहकर खुद की कम्पनी में ही पीडि़त का डीमेट एकाउंट खुलवाया। इसके लिए पीडि़त से कम्पनी के सर्विस चार्ज, जीएसटी और अलग-अलग नामों से रकम की मांग की गयी। इस तरह से कुल 14 लाख, 7 हजार 498 रुपये की ठगी की। साइबर पुलिस स्टेशन रुद्रपुर में इस मामले की रिपोर्ट दर्ज की गई।

आरोपी तक पहुंची एसटीएफ
साइबर पुलिस टीम ने ठगी में इस्तेमाल फर्जी वेबसाइट, जीमेल एकाउंट और मोबाइल नम्बरों के बारे में सम्बन्धित कम्पनियों से पत्राचार कर आईडी डिटेल्स मांगी। पता चला कि जीमेल एकाउंट और मोबाइल नंबर इन्दौर, मध्य प्रदेश से इस्तेमाल किये जा रहे हैं। बैंक खातों की जांच से पता चला कि वे खाते दिल्ली, एनसीआर में हैं। कई तरह के सबूत जुटाने के बाद पुलिस टीम दिल्ली, एनसीआर, राजस्थान और मध्य प्रदेश भेजी गई। पुलिस टीम का पता चला कि मुख्य आरोपी मध्य प्रदेश इन्दौर का रहने वाला है। इस पर एसटीएफ की टीम ने लगातार 7 दिन तक आरोपी विजय चावला पुत्र श्री मोहन चावला निवासी बाणगंगा इन्दौर, जिला इंदौर की तलाश में जगह-जगह छापेमारी की। पुलिस से बचने के लिए आरोपी इंदौर, ग्वालियर, मथुरा, नोएडा होते हुए उत्तराखंड की तरफ आ गया। साइबर पुलिस टीम लगातार उसका पीछा करती रहीे और आखिरकार 2700 किमी चलकर पुलिस टीम ने आरोपी को हरिद्वार में दबोच लिया।

गिरोह के सदस्यों पर नजर
आरोपी से पूछताछ में कई अहम सुराग हाथ लगे है। एटीएफ अब गिरोह के अन्य सदस्यों की भी गिरफ्तारी के प्रयास कर रही है। पकड़े गये आरोपी ने बताया कि उसका गिरोह देशभर में कई अन्य लोगों को भी इस तरह की धोखाधड़ी कर चुका है। एसटीएफ अन्य राज्यों की पुलिस से भी संपर्क कर रही है।

ऐसे करता है ठगी
आरोपी अपने साथियों के साथ मिलकर एक फर्जी वेबसाइट के माध्यम से मार्केट में ऑनलाइन ट्रेडिंग कर अधिक मुनाफा कमाने का लालच देते थे। इसके बाद एंगल ब्रोकिंग एप पर डीमेट एकाउंट बनाकर ट्रेडिंग शुरू करायी जाती थी। बाद में एप्लीकेशन के सही कार्य न करने की बात कहकर अपनी कंपनी में नया डीमेट एकाउंट खुलवाया जाता था और कई तरह के चार्ज के नाम पर रकम वसूली जानी थी।