DEHRADUN : भगवान कृष्ण को भले ही जन्म माता देवकी ने दिया हो, लेकिन उनका लालन-पालन और जीवन में अच्छे बुरे का ज्ञान माता यशोदा ने दिया था। ठीक इसी प्रकार उत्तराखंड की उभरती हुई बॉक्सिंग स्टार प्लेयर पूजा यादव की कहानी है। नेहरूग्राम निवासी किशनपाल यादव की बेटी ने बचपन में भी बॉक्सिंग खेल में अपना करियर बनाने की ठान ली। उत्तराखंड परिवहन निगम के ऋषिकेश डिपो में तैनात किशनपाल यादव ने अपनी बेटी के लालन-पालन में कभी कोई कमी नहीं होने दी। लेकिन, उन्हें बॉक्सिंग के बारे में कुछ पता नहीं था और बेटी इसी खेल में अपना करियर बनाना चाहती थी। ऐसे में उन्होंने पूजा को वर्ष ख्00ब् में परेड ग्राउंड कोचिंग के लिए भेजा। जहां बॉक्सिंग की दुनिया में एक बड़े नाम पद्म बहादुर मल्ल ने पूजा को बॉक्सिंग की कोचिंग देना शुरू कर दिया।

जीता था पहला गोल्ड मेडल

पद्म बहादुर मल्ल का बॉक्सिंग की दुनिया में एक अलग ही नाम है। आज हर कोई उन्हीं के अंडर अपना करियर स्टार्ट करना पसंद करता है। बॉक्सिंग में एशियन लेवल पर इंडिया को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाले पद्म बहादुर मल्ल ही थे। जब क्9म्ख् में जकार्ता में हुए एशियन गेम्स में मल्ल ने इंडिया के गोल्ड मेडल जीता था। इसके बाद उन्हें गवर्नमेंट ऑफ इंडिया द्वारा अर्जुन अवॉर्ड दिया गया था। ऑल इंडिया युनिवर्सिटी गेम्स में एचएनबी युनिवर्सिटी को पहला गोल्ड मेडल दिलाने वाली भी पूजा यादव भी पद्म बहादुर मल्ल को न केवल अपना गुरु मानती है, बल्कि बड़े पापा कह कर भी पुकारती हैं। मल्ल भी उन्हें अपनी बेटी की तरह मानते हैं। ए गे्रड में एनआईएस पास कर चुकी पूजा वर्तमान में खेल विभाग में एडोब बेस पर परेड ग्राउंड बॉक्सिंग सेंटर में बॉक्सिंग का प्रशिक्षण दे रही है। कोच बनने के बावजूद अपने खेल में और ज्यादा पैनापन लाने के लिए पूजा आज भी पद्म बहादुर मल्ल से प्रशिक्षण लेती है।