गोपेश्वर (ब्यूरो)। कपाट खुलने के क्रम में तड़के पंज प्यारों के नेतृत्व में श्रद्धालुओं का जत्था बेस कैंप घांघरिया से हेमकुंड साहिब पहुंचा। सुबह 9:30 बजे मुख्य ग्रंथी मिलाप ङ्क्षसह की अगुआई में गुरु ग्रंथ साहिब को सुशासन स्थल से दरबार साहिब में लाया गया। इसी के साथ गुरुद्वारे के कपाट खोल दिए गए। इस मौके पर अरदास हुई और सबद-कीर्तन के साथ हुक्मनामा लिया गया। जबकि, रागी भाई मोहकम सिंह व साथियों ने गुरवाणी कीर्तन की छटा बिखेरी। परंपरानुसार गुरुद्वारा साहिब में निशान साहिब को भी बदला गया। इस दौरान सेना के बैंड की सुमधुर लहरियों के बीच हेमकुंड का माहौल भक्तिमय हो गया। धाम में दिनभर लंगर चलता रहा, जिसमें सभी श्रद्धालुओं ने गुरु का प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर ग्रंथी कुलवंत सिंह, हेमकुंड साहिब के प्रबंधक गुरनाम ङ्क्षसह, ब्रिगेडियर देवेंद्र ङ्क्षसह, कर्नल आरएस पुंडीर, गुरुद्वारा श्री हेमकुंड मैनेजमेंट ट्रस्ट के अध्यक्ष जनक ङ्क्षसह, उपाध्यक्ष नरेंद्रजीत ङ्क्षसह ङ्क्षब्रद्रा आदि उपस्थित रहे।

लक्ष्मण मंदिर के भी खुले कपाट
गुरुद्वारा हेमकुंड साहिब के साथ ही सुबह नौ बजे हजारों श्रद्धालुओं की मौजूदगी में लोकपाल लक्ष्मण मंदिर के कपाट भी खोले गए। सबसे पहले हक-हकूकधारी भ्यूंडार घाटी के ग्रामीणों ने पूजा-अर्चना की और फिर दिनभर श्रद्धालु मंदिर में दर्शन करते रहे। मान्यता है कि यहां पर श्रीराम के भाई लक्ष्मण ने पूर्वजन्म में शेषनाग के रूप में तपस्या की थी। यह मंदिर हेमकुंड सरोवर के किनारे गुरुद्वारा से 50 मीटर की दूरी पर विद्यमान है।
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