देहरादून ब्यूरो। आय से ज्यादा संपत्ति का मामला राम बिलास यादव के उत्तर प्रदेश में तैनात रहने के दौरान आय से अधिक संपत्ति के मामला सामने आया था। उत्तर प्रदेश सरकार ने इसकी विजिलेंस जांच कराई थी, लेकिन जांच रिपोर्ट आने से पहले ही वर्ष 2019 में यादव अपने मूल काडर उत्तराखंड में लौट आए थे। तब वह पीसीएस थे, यहां आने के कुछ अंतराल में उनकी आईएएस काडर में प्रोन्नति कर दी गई। इस बीच, उत्तर प्रदेश सरकार ने उत्तराखंड सरकार को पत्र लिखकर कार्रवाई की सिफारिश की थी।

अप्रैल में दर्ज हुआ था केस
उत्तराखंड में विजिलेंस ने खुली जांच शुरू करने के बाद अप्रैल में यादव के विरुद्ध मुकदमा दर्ज किया था। लेकिन, वह विजिलेंस में बयान दर्ज कराने नहीं आ रहे थे। इस पर विजिलेंस ने कोर्ट से आदेश लेकर पिछले दिनों यादव के उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश स्थित ठिकानों पर छापेमारी की थी। छापे में यादव की इन दोनों राज्यों में 20 से अधिक संपत्तियों का पता चला था। इस दौरान यादव और उनके स्वजन ठिकानों पर नहीं मिले थे। यादव छापे की कार्रवाई के पहले से ही अवकाश पर बताए गए। विजिलेंस का शिकंजा कसता देख यादव मंगलवार को गिरफ्तारी पर रोक के लिए नैनीताल हाईकोर्ट पहुंचे। हाई कोर्ट से उन्हें राहत नहीं मिली। साथ ही आदेश दिया कि वह बुधवार तक विवेचक के समक्ष अपने बयान दर्ज कराएं।

वकील को किया बाहर
यादव अपने अधिवक्ता के साथ बुधवार दोपहर 12:48 बजे विजिलेंस कार्यालय पहुंचे। विजिलेंस ने पूछताछ के दौरान अधिवक्ता को साथ नहीं रहने दिया। विजिलेंस ने यादव से सवाल- जवाब के लिए पहले ही तैयारी की हुई थी।

2 विवेचक और 4 इंस्पेक्टरों ने की पूछताछ
विजिलेंस सूत्रों ने बताया कि यादव ने अधिकतर सवाल का जवाब सिर्फ हां या ना में दिया। कई सवालों का जवाब देने से बचते भी रहे। उनसे दो एसपी, तीन सीओ, दो विवेचक और चार इंस्पेक्टरों ने अलग-अलग चरणों में पूछताछ की। इधर, देर शाम शासन ने यादव को निलंबित कर दिया। निलंबन अवधि में वह सचिव कार्मिक एवं सतर्कता विभाग के कार्यालय में संबद्ध रहेंगे।

जल्द हो सकती है गिरफ्तारी
सेवानिवृत्ति से महज 8 दिन पहले आईएएस राम बिलास यादव को सरकार की ओर से निलंबित करने और विजिलेंस की लंबी पूछताछ के बाद यादव की गिरफ्तारी की अटकलें तेज हो गई हैं। विजिलेंस के पास उनके विरुद्ध पर्याप्त साक्ष्य होने की बात कही जा रही है।