देहरादून (ब्यूरो)। एमडीडीए की ओर से कई कोशिशों के बावजूद अवैध निर्माण करने वाले लोग वैध कराने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहे हैं। प्राधिकरण की मानें तो कइयों ने ओटीएस के तहत दिए जाने वाले लाभ के लिए दिलचस्पी तो दिखाई। लेकिन, कोरोनाकाल का भी हवाला दिया। लोगों का तर्क था कि कोरोनाकाल में निर्माण कार्य अधूरे रह गए, रोजगार का संकट सामने आया। ऐसे में अवैध निर्माण को वैध करने में दिक्कतों का सामना करना पडा। लेकिन, एमडीडीए लगातार लोगों से अपील कर रहा है कि शासन ने मार्च 2022 तक ओटीएस के तहत अवैध निर्माण को वैध कराने की सुविधा दी है। ऐसे में लोग इसका फायदा उठा सकते हैं।

रिजेक्शन व ऑब्जेक्शन पर दोबारा आवेदन
एमडीडीए के पास ओटीएस के तहत आए आवेदनों के अनुसार 2385 कॉमर्शियल व नॉन कॉमर्शियल आवेदन आए थे। इनमें से ज्यादातर 1696 रेजिडेंशियल रहे। हालांकि, 16 दिसंबर तक आए आवेदनों में से 861 आवेदन स्वीकार कर लिए गए हैं। जबकि अभी भी 399 आवेदन प्रक्रिया में हैं। आवेदन की जांच के बाद तय हो पाया कि वह स्वीकार्य होंगे, या रिजेक्ट होंगे या फिर ऑब्जेक्शन लगेगा। एमडीडीए के मुताबिक जिन आवेदनों पर ऑब्जेक्शन व रिजेक्शन किया गया है, उन्हें दोबारा आवेदन करना होगा। मंजूरी मिलने के बाद ही निर्माण कार्य वैध हो पाएंगे। ऐसे ही कॉमर्शियल अवैध निर्माण की भी प्रक्रिया है। एमडीडीए के सचिव मोहन सिंह बर्निया के अनुसार अवैध निर्माण के लिए लोगों से अपील की जा रही है। उम्मीद है कि मार्च 2022 तक सभी अवैध निर्माण वैध हो जाएंगे।

रेजिडेंशियल व कॉमर्शियल कुल निर्माण
-626 ऑन प्रोसेस।
-196 ऑब्जेक्टेड।
-491 रिजेक्टेड।

रेजिडेंशियल निर्माण पर एक नजर
-861 रेजिडेंशियल अवैध निर्माण अप्रूव्ड।
-399 निर्माण प्रक्रिया में।
-124 निर्माण पर ऑब्जेक्शन।
-312 निर्माण हुए हैं कैंसिल।

कॉमर्शियल निर्माण पर एक नजर
-211 अवैध निर्माण अप्रूव्ड।
-227 निर्माण कार्यों पर प्रक्रिया जारी।
-72 निर्माण पर ऑब्जेक्शन।
-179 निर्माण हुए हैं कैंसिल।