देहरादून(ब्यूरो) तय समय के भीतर कब्जा न छोडऩे पर प्रशासन ने बीती दो नवंबर को जबरन काबुल हाउस के भवन खाली कराए थे। इसके साथ ही संपत्ति को सील कर दिया था। उसी दौरान 8 परिवार त्योहारी सीजन पर बेदखली के विरोध में हाईकोर्ट की शरण में गए। अदालत ने मानवीय आधार पर इन परिवारों को एक दिसंबर तक की मोहलत दी थी। कोर्ट से मिली राहत के क्रम में 8 परिवार वापस लौट आए थे। हालांकि, कोर्ट की अवधि एक दिसंबर से पहले ही संबंधित परिवारों ने काबुल हाउस की संपत्ति खाली कर दी थी।

अब सरकार लेगी फैसला
अब डीएम सोनिका के निर्देश पर तहसीलदार शादाब के नेतृत्व में पहुंची टीम ने 15 भवनों को ध्वस्त कर दिया गया है। डीएम के मुताबिक काबुल हाउस पर सरकार के पक्ष में पूर्ण स्वामित्व प्राप्त कर लिया गया है। अब सरकार ही इसके जनहित में किसी प्रयोजन पर निर्णय लेगी।

400 करोड़ की संपत्ति
ईसी रोड स्थित काबुल हाउस की संपत्ति करीब 400 करोड़ रुपये की बताई जाती है। इसका संबंध काबुल के शाही परिवार के सदस्य याकूब खान से है। डीएम की कोर्ट के आदेश के मुताबिक काबुल हाउस के मालिक याकूब खान की मृत्यु वर्ष 1921 में हो गई थी। इस क्रम में उनके वंशज सरदार मो। आजम खान, सरदार अली खान, सुल्तान अहमद खान के नाम नगर पालिका के असेसमेंट वर्ष 1934-37, वर्ष 1943-1948 में अंकित हैं।

याकूब के वंशजों ने 1947 में छोड़ा था भारत
यह भी उल्लेख किया गया कि अमीर ऑफ काबुल याकूब खान के वंशजों ने वर्ष 1947 में भारत छोड़ दिया था। जिसके बाद भूमि को रिक्त घोषित कर दिया गया। वर्ष 1958 में उत्तर प्रदेश सरकार में जांच के बाद लावारिश संपत्तियों को कस्टोडियन एक्ट-1950 प्रावधानों के मुताबिक निष्क्रांत संपत्ति घोषित कर नगर निकायों के रिकॉर्ड में कस्टोडियन दर्ज किया गया। इसके बाद भी सहारनपुर निवासी मो। शाहिद ने अपने सहयोगियों के साथ मिलकर उक्त संपत्ति पर कब्जा करने के साथ ही अन्य व्यक्तियों के नाम 30 रजिस्ट्री भी करा दी थी। इसके लिए तमाम प्रपंच किए गए। इसी के आधार पर यहां 15 से 17 लोग अवैध रूप से काबिज हो गए और 40 साल तक सरकार इस संपत्ति पर कब्जा नहीं ले पाई। डीएम ने यह भी आदेश दिए थे कि मो। शाहिद और उसके सहयोगियों पर एफआईआर दर्ज की जाए। अब तक भी प्रकरण में मुकदमा दर्ज नहीं किया जा सका है।

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