- पुलिस-प्रशासन मौन, विभागों का भी नहीं को-ऑर्डिनेशन

देहरादून (ब्यूरो): रेजीडेंशियल भवनों पर कॉमर्शियल एक्टिविटी धड़ल्ले से चल रही है। सेफ्टी प्वाइंट ऑफ व्यू से भी ये हॉस्टल व पीजी बेहद संवेदनशील हैं। सिक्योरिटी के कोई इंतजाम नहीं हैैं। एक-एक स्टूडेंट्स से 10 हजार से 20 हजार रुपये महीने का वसूला जा रहा है। डोमेस्टिक भवनों पर कॉमर्शियल गतिविधियां चलाकर ये करोड़ों का टैक्स बचाकर सरकार को चूना लगा रहे हैं, इसके बावजूद गली-मोहल्लों में चल रहे इन ब्वायज-गल्र्स हॉस्टल व पीजी पर प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है।

मंथली लाखों का टर्नओवर
आवासीय क्षेत्रों में धड़ल्ले से चल रहे इन हॉस्टल व पेइंग गेस्ट हाउस में 10 से लेकर 50 और कहीं-कहीं 100 तक स्टूडेंट़़स रह रहे हैं। एक-एक कमरे में चार-चार स्टूडेंट्स भी शेयरिंग में रह रहे हैं। किसी विभाग का कंट्रोल न होने से ये मनमाने तरीके से लूट रहे हैं। एक स्टूडेंट्स से 10 हजार से 15 व 20 हजार से प्रतिमाह वसूला जा रहा है। एक हॉस्टल व पीजी वाले एक कमरे का सिंगल में 15 से 20 हजार ले रहे हैं। डबल शेयरिंग पर 12 से 15 हजार और 3 व 4 स्टूडेंट्स एक रूम में रहते हैं, तो उनसे 8 हजार से 10 हजार तक महीने का लिया जा रहा है। एक-एक हॉस्टल व पीजी लाखों रुपए कमा रहा है।

3000 तक हैं हॉस्टल-पीजी
10 हजार के हिसाब से 50 स्टूडेंट्स का कैल्कुलेशन किया जाए, तो यह 5 लाख मंथली बैठता है। इसमें यदि आधी भी बचत लगाई जाए तो एक हॉस्टल व पीजी कम से कम 2.50 लाख मंथली कमा रहा है, जो सालाना 30 लाख बैठता है। रजिस्ट्रेशन न होने से इनकी कोई गिनती नहीं है कि कितने हॉस्टल व पेइंग गेस्ट हैं, लेकिन जानकारों की मानें तो इनकी संख्या 2 से लेकर 3 हजार तक हो सकती है। इस हिसाब से भी देखा जाए तो 25 से 30 लाख कमाई वाले गेस्ट हाउस 600 से लेकर 1000 करोड़ तक की इनकम कर रहे हैं।

करोड़ों की कमाई, टैक्स जीरो
बताया जा रहा है कि करीब एक हजार तक की कमाई करने वाले कारोबार का कहीं कोई रजिस्टे्रशन नहीं है। नगर निगम से लेकर इनकम टैक्स, एमडीडीए, शिक्षा, पर्यटन व पुलिस विभाग के पास इनका कोई लेखा-जोखा नहीं है। एक पीजी वाला जहां एक ओर सालाना 25 से 30 लाख कमा रहा है वहीं आवासीय भवनों में कॉमर्शियल एक्टीविटी करके लाखों की भवन कर चोरी भी कर रहा है। सरकार को टैक्स की चपत लगने के बाद भी अफसर सोए हुए हैं। कभी किसी स्टूडेंट्स के साथ कोई घटना हो जाए तो कोई कहने-सुनने वाला नहीं है।

पीजी के अपने-अपने नियम
सिटी में चल रहे सैकड़ों की संख्या में हॉस्टल व पीजी के लिए कोई एक्ट नहीं है, जिसकी आड़ में वह मनमाने तरीके से अभिभावकों को लूट रहे हैं। यही नहीं चार्जेज के नाम पर कई तरह की वसूली हो रही है। पेइंग गेस्ट में रहने वाले एक युवक ने बताया कि एक बार झाड़ू लगाने के उनसे 100 रुपए लिए जाते हैं। पेइंग गेस्ट मे आने से पहले 10 से लेकर 20 हजार से सिक्योरिटी मनी के नाम पर ली जाती है। बीच में छोडऩे पर पूरे साल का चार्ज वसूला जाता है। हर माह एडवांस किराया लिया जाता है। बीच में छोडऩे पर पैनल्टी अलग से ली जाती है। पेइंग में ठहरने वाले से आधार कार्ड से लेकर पेन कार्ड, एक साल का एग्रीमेंट तक सब फॉर्मेलिटी की जा रही है।

15000
तक सिंगल रूम के लिए मंथली चार्ज
12000
तक डबल शेयरिंग के लिए
9000
तक ट्रिपल शेयरिंग के लिए
7000
तक डोरमेट्री के लिए
3000
तक हॉस्टल, पीजी की संख्या
20000
तक सिक्योरिटी मनी

सिक्योरिटी के इंतजाम नहीं
कई हॉस्टल व पेइंग गेस्ट में सिक्योरिटी के कोई इंतजाम नहीं हैं। गल्र्स हॉस्टल तक में नाम के लिए महिलाएं रखी गई हैं। इनमें से अधिकांश महिलाएं खाना बनाने का काम करती हैं। पेइंग गेस्ट में कौन रह रहा है। इसकी पुलिस से कोई वेरिफिकेशन नहीं किया जाता। जबकि नियमानुसार 24 घंटे से अधिक ठहराने पर पुलिस को इन्फॉर्मेशन जरूरी है। पटेलनगर के एक पेइंग गेस्ट में रहने वाले एक युवक ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि मकान मालिक ने पीजी लेते समय कहा कि पुलिस वेरिफिकेशन करेगी, लेकिन बाद में उन्होंने कहा कि हम खुद ही कॉल कर वेरिफिकेशन करते हैं।

हॉस्टल व पीजी पर एक नजर
- आवासीय भवनों पर चल रही कॉमर्शियल गतिविधियां
- न कोई रजिस्ट्रेशन व टैक्स, न ही किसी का कोई नियंत्रण
- कानून न होने का उठाया जा रहा फायदा, वसूल रहे मनमानी रकम
- कई हॉस्टल में न गार्ड व कोई वेरिफिकेशन
- पुलिस की जगह मालिक खुद ही गेस्ट को कॉल कर करते है वेरिफिकेशन
- एक बार रूम साफ करने के लिए जाते जाते हैं 100 से 150 रुपए तक
- रेट किसने तय किए, किसी को नहीं कोई जानकारी
- मनमाने रेट से कट रही लोगों की जेब, पुलिस-प्रशासन मौन
- विभागों मे नहीं कोई को-ऑर्डिनेशन, एक दूसरे पर डाल रहे जिम्मेदारी

हॉस्टल व पीजी की कोई शिकायत संज्ञान में नहीं है। यदि वास्तव में इसमें लोगों को लूटा जा रहा है। इसकी पड़ताल की जाएगी। इसके लिए संबंध विभागों को भी जरूरी दिशा निर्देश दिए जाएंगे।
सोनिका, डीएम, देहरादून
dehradun@inext.co.in