-दून के 27 बेटों ने दिया था कारगिल वार में सर्वोच्च बलिदान

-रिटायर विंग कमांडर एके सिन्हा ने शेयर किया वार एक्सपीरिएंस

देहरादून,

कारगिल वार को दो दशक से भी ज्यादा का समय बीत चुका है। कारगिल वार में दून के 27 जांबाज बेटों ने सर्वोच्च बलिदान दिया और हमेशा के लिए अमर हो गए। कारगिल वार की सालगिरह पर आज दून अपने उन जांबाज बेटों को श्रद्धांजलि दे रहा है। उन लोगों को नमन कर रहा है, जिन्होंने अपने जिगर के टुकड़ों को देश पर कुर्बान होते देखा। दैनिक जागरण-आई नेक्स्ट ने कारगिल वार का अहम हिस्सा रहे उन जांबाजों से बात की, जो आज भी उस मंजर को याद कर देशभक्ति से भर जाते हैं और कहते हैं कि उन्हें देश सेवा का सौभाग्य मिला।

आज भी याद है 28 मई का वो मंजर

वसंत विहार निवासी रिटायर्ड विंग कमांडर अनिल कुमार सिन्हा कारगिल युद्ध में हेलीकॉप्टर ऑपरेशन के टास्क फोर्स कमांडर रहे। उन्होंने बताया कि कारगिल वार में इंडियन एयरफोर्स की पहली स्ट्राइक 26 मई 1999 को हुई थी। इसके बाद कई सफल स्ट्राइक्स को एयरफोर्स ने अंजाम दिया। 27 मई को एयरफोर्स का पहला एयरक्राफ्ट शॉटडाउन हुआ, जिसे बचाया नहीं जा सका। 28 मई 1999 को हुई एयरस्ट्राइक में 4 हेलीकॉप्टर में से तीसरे नंबर के हेलीकॉप्टर पायलट राजीव पुंडीर व लेफ्टिनेंट मुहीलंद को मिसाइल लगी और हेली क्रैश हो गया था। दोनों पायलट इसमें शहीद हो गए।

हिंडन एयरबेस में तैनात थे सिन्हा

रिटायर्ड विंग कमांडर एके सिन्हा ने बताया कि कारगिल वार के दौरान उनकी हिंडन एयरबेस गाजियाबाद में पोस्टिंग थी। 16-17 मई 1999 में उन्हें हिंडन, गाजियाबाद से श्रीनगर जाने के ऑर्डर मिले। अलग-अलग एयरबेस के पायलट बुलाए गए और एयरस्ट्राइक की तैयारी की गई।

पहली बार 18 हजार की ऊंचाई से स्ट्राइक

विंग कमांडर सिन्हा के अनुसार पहली बार एयरफोर्स 18000 फीट की ऊंचाई से एयर स्ट्राइक कर रही थी। इसके लिए हेलीकॉप्टर में कुछ इनोवेशन भी किए गए। ये काफी चुनौतीपूर्ण स्ट्राइक थी, लेकिन हमारा इनोवेशन और स्पेशल तैयारी सफल रही।

सौभाग्य था जो देश सेवा का मौका मिला

रिटा। विंग कमांडर एके सिन्हा ने कारगिल वार को याद करते हुए बताया कि जब वे एयर स्ट्राइक के लिए गए तो उनका बेटा करीब 7 साल का था। 27 मई 1999 को जब पहला एयरक्राफ्ट शॉटडाउन हुआ तो इसकी जानकारी परिवार को न्यूज चैनल्स के जरिए मिली। परिजन बहुत घबरा गए थे, क्योंकि उन्हें ये पता नहीं चल पाया कि किसका एयरक्राफ्ट शॉटडाउन हुआ। सिन्हा ने बताया कि फौज में तैनाती के दौरान कई जवानों को वार का मौका ही नहीं मिलता, लेकिन हम लकी रहे जो हमें देश सेवा का मौका मिला और हमने सफलतापूर्वक दुश्मन के दांत खट्टे किए।

देहरादून के 27 हुए शहीद

विजय भंडारी

नरपाल सिंह

तेनजिंग नामका

संजय गुरुंग

जयदीप सिंह भंडारी

कैलाश कुमार

जय सिंह नेगी

राजेश गुरुंग

कृष्णा बहादुर थापा

राजीव पुंडीर

मोहन सिंह

विवेक गुप्ता

मेघ बहादुर गुरुंग

विजेन्द्र सिंह

सुंदर सिंह

हरी सिंह थापा

ज्ञान सिंह

नायक सुबाब सिंह

हीरा सिंह

दिलवर सिंह

मदन सिंह

कश्मीर सिंह

शिवचरण प्रसाद

विक्रम सिंह

देवेंद्र प्रसाद

रंजीत सिंह

कृष्णा बहादुर थापा

लेकिन फº है उसकी शहादत पर

30 जून 1999 को दून ने अपने जांबाज बेटे विजय भंडारी को खो दिया। विजय महज 24 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए। वे अपने पीछे मां-पिता व अपनी तीन बहनों को छोड़ गए थे। लेकिन विजय की मां चंदेरी देवी कहती हैं कि उन्हें फº है कि उनके बेटे ने देश सेवा में अपनी सर्वोच्च बलिदान दिया। कहा कारगिल दिवस जब भी मनाया जाएगा उनके बेटे की कुर्बानी को याद किया जाएगा। शहीद विजय की मां अंबीवाला श्यामपुर में रहती हैं। विजय उनका इकलौता बेटा था। 20 साल की उम्र में वह सेना में भर्ती हुआ था और महज चार साल की सेवा में सर्वोच्च बलिदान देकर अमर हो गया।