- लोक गीतों के साथ परंपरागत तांदी-नृत्य से गुलजार रहे जनजाति क्षेत्र के पंचायती आंगन

CHAKRATA, JNN: समूचा जौनसार-बावर माघ-मरोज के जश्न में डूब गया है। जौनसार बावर में लोक संस्कृति के संरक्षण के साथ माघ-मरोज का जश्न मनाने के लिए इन दिनों बड़ी संख्या में लोग पैतृक गांव पहुंचे हैं। गांव-पंचायत में दावतों का दौर शुरू होने के साथ ही ग्रामीणों ने ढोल-दमोऊ की थाप पर हारुल व लोकगीतों के साथ जौनसारी तांदी-नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी। जौनसार में देर शाम तक पंचायती आंगन लोक नृत्य से गुलजार रहे।

माघ-मरोज का विशेष महत्व

जनजाति क्षेत्र जौनसार-बावर परगने के सीमांत तहसील त्यूणी, चकराता व कालसी तहसील क्षेत्र से जुड़े करीब चार सौ गांवों, में परंपरागत माघ-मरोज पर्व की धूम शुरू हो गयी है। क्षेत्र की सभी 39 खतों में पौष मास को मनाए जाने वाले माघ-मरोज के त्योहार का विशेष महत्व है। जिसे मनाने के लिए बड़ी संख्या में लोग अपने बच्चों के साथ पैतृक गांव आए हैं। क्षेत्र में एक माह तक चलने वाले माघ-मरोज पर्व में मेहमान नवाजी का दौर भी शुरू हो गया है। माघ-मरोज में पूरे जौनसार बावर क्षेत्र में कई हजार बकरे काटे जाने के बाद ग्रामीणों ने सोमवार को रात्रि भोज के लिए बुलाए गए मेहमानों की खूब खातिरदारी की। इसके बाद पंचायती आंगन में लोक नृत्य की प्रस्तुति से माघ-मरोज का जश्न मनाया।