देहरादून ब्यूरो। त्यूनी में लगी आग के बाद फायर ब्रिगेड, पुलिस, राजस्व विभाग, स्वास्थ्य विभाग सहित लगभग सभी संबंधित विभागों की पोल पूरी तरह खुल गई थी। स्पष्ट हो गया था कि आग से बचने की कोई तैयारी नहीं थी। इस अग्निकांड में चार बच्चियों की मौत और व्यवस्थाओं की लापरवाही से हुई किरकिरी के बाद त्यूनी से एक किमी आगे मॉकड्रिल किया गया। असली अग्निकांड में बेशक फायर ब्रिगेड में सिर्फ तीन मिनट का ही पानी रहा हो, लेकिन नकली अग्निकांड के लिए सब कुछ चाक-चौबंद थी। फायर ब्रिगेड, एंबुलेंस, पुलिस और सभी संबंधित विभागों का अमला, सब कुछ आग लगने की खबर मिलने के कुछ ही देर बाद मौके पर था।

ऐसे हुआ मॉकड्रिल
शाम को 5:20 बजे एक बच्चे ने डिजास्टर कंट्रोल रूम को सूचना दी कि त्यूनी से करीब एक किमी दूर मझोग गांव में गैस गोदाम के पास आग लग गई है। इसमें 4 बच्चों के फंसे होने की सूचना है। सूचना मिलते ही एडीएम फाइनेंस रामजीशरण शर्मा ने कंट्रोल रूम की बागडोर संभाली और तुरंत संबंधित अधिकारियों को जरूरी निर्देश दिये। एडीएम के आदेश मिलते ही फायर ब्रिगेड का दस्ता और अन्य संबंधित विभागों के अधिकारी और कर्मचारी घटनास्थल के लिए रवाना हो गये।

ये टीमें पहुंची मौके पर
- फायर एंड इमरजेंसी सर्विसेज की गाड़ी।
- फायर ब्रिगेड के अधिकारी और और रेस्क्यू टीम।
- त्यूनी थाने से पुलिस बल।
- राजस्व विभाग के अधिकारी और कर्मचारी।
- 108 इमरजेंसी सेवा की एंबुलेंस।
- अन्य संबंधित विभागों की अधिकारी और कर्मचारी

त्यूनी में नहीं थी तैयारी
अग्निकांड के मॉकड्रिल में बेशक सब कुछ चाक-चौबंद दिखा हो, लेकिन त्यूनी के अग्निकांड में सब कुछ बदहाल था। असली अग्निकांड में घटनास्थल से सिर्फ आधा किमी दूर फायर स्टेशन से फायर ब्रिगेड को पहुंचने में आधा घंटा लग गया था और तीन मिनट में ही पानी खत्म हो गया था, लेकिन मॉकड्रिल में फायर ब्रिगेड की गाड़ी की टंकी पूरी फुल थी। असली अग्निकांड में एंबुलेंस नहीं पहुंच पाई थी, लेकिन मॉकड्रिल में एंबुलेंस समय पर पहुंच गई। असली अग्निकांड में राजस्व विभाग के कर्मचारी नदारद थे, लेकिन मॉकड्रिल में पूरी तरह तत्पर थे। मॉकड्रिल में फायर ब्रिगेड की टीम के पास सभी उपकरण मौजूद थे, लेकिन त्यूनी के असली अग्निकांड में कर्मचारियों के पास बिल्डिंग में चढऩे के लिए रस्सी तक नहीं थी।

पहले भी हुए बेनतीजा मॉकड्रिल
यह पहली बार नहीं है, जब दून में आपदा में तैयारियों को परखने के लिए इस तरह का मॉकड्रिल किया गया हो। 13 अक्टूबर 2017 को भूकंप को लेकर एक ऐसा ही मॉकड्रिल किया गया था। यह मॉकड्रिल पूरे राज्य में किया गया था। इसके अलावा हॉस्पिटल्स में आग लगने की स्थिति में बचाव की तैयारियां परखने के लिए भी एक मॉकड्रिल किया गया था। इसके अलावा भी अलग-अलग समय में मॉकड्रिल होते रहे। इन मॉकड्रिल में कई कमियां भी उजागर होती रही, लेकिन इन कमियों को दूर करने को लेकर कभी गंभीरता नहीं दिखाई गई।

उत्तराखंड में आग: कुछ तत्थ
5364 लोगों की आग में जलकर मौत हो चुकी है राज्य गठन से लेकर पिछले वर्ष तक
369 लोगों की मौत हुई थी 2008 में। यह एक वर्ष में आग के कारण मरने वालों की सबसे ज्यादा संख्या है।
64 लोगों की मौत हुई थी 2003 में। यह एक वर्ष में मरने वालों की सबसे कम संख्या है।
476 कॉल आई थी 2021 में। ये एक वर्ष में आने वाली सबसे ज्यादा कॉल थी।
50 कॉल आई थी 2001 में। यह एक वर्ष में आने वाली सबसे कम कॉल थी।