देहरादून (ब्यूरो) उत्तराखंड रोडवेज के बेड़े में कुल 1300 बसें हैं। इनमें अनुबंधित बसें भी शामिल हैं। रोडवेज के अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार रोडवेज में शामिल 75 परसेंट से ज्यादा बसें बीएस-4 हैैं। 3 साल पहले रोडवेज के बेड़े में जो नई बसें शामिल हुईं थीं, वे भी बीएस-4 की थीं। ये बसें ज्यादा पुरानी नहीं हैैं, लेकिन बीएस-4 होने के कारण इन्हें भी दिल्ली में एंट्री नहीं मिलेगी।

इलेक्ट्रिक बस का ट्रायल फेल
रोडवेज की योजना दिल्ली रूट पर इलेक्ट्रिक बसें चलाने की थी, लेकिन इलेक्ट्रिक बस ट्रायल रन में ही फेल हो गई। रोडवेज की ओर से ट्रायल रन पर 5 इलेक्ट्रिक बसें चलाई गईं थीं। ट्रायल फेल होने पर इन्हें बाहर कर दिया गया।

सीएनजी बसें हो सकती हैैं बसें
एक नवंबर से बीएस-4 बसों की एंट्री पर दिल्ली में रोक लगती है तो रोडवेज के पास केवल 150 सीएनजी बसें हैैं, जो अब तक संचालित होने वाली 400 बसों का विकल्प बनेंगी। लेकिन, ये विकल्प पर्याप्त नहीं है। दूसरी बात ये बसें रोडवेज की अपनी नहीं हैैं, ये अनुबंध पर चलाई जा रही हैैं।

छूट मिलने पर भी लापरवाही
2020 में दिल्ली में लगातार पॉल्यूशन बढ़ता देख दिल्ली सरकार की ओर से बीएस-4 की बसों की एंट्री पर पाबंदी लगा दी गई थी। 2020 और 2021 में कोरोना संक्रमण के चलते राहत दी गई। 2022 में भी छूट के लिए पत्र भेजा गया लेकिन, सरकारों की बातचीत के बाद छूट में रियायत ले ली गई। अब एक नवंबर से लगने वाले प्रतिबंध से बचने को लेकर अन्य राज्य जैसे उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा व पंजाब ने पूरी तैयारी कर ली है। नई बीएस-6 श्रेणी की बसें खरीद लीं। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड रोडवेज के अधिकारी बैठे रहे।

बस टेंडर होते रहे, नहीं खरीदीं बसें
उत्तराखंड रोडवेज में नई बसों की खरीद को लेकर विधानसभा से लेकर कैबिनेट में मुद्दा उठता रहा। लेकिन, इसके बावजूद भी एक साल बीत जाने के बाद भी नई बसों की खरीद नहीं हो सकी। रोडवेज के अधिकारियों के अनुसार टेंडर में कंपनी के कम आने के कारण बार बार टेंडर डाले गए। लेकिन, कंपनी फिर भी शामिल नहीं हो सकी। जिसके कारण इसके बाद रोडवेज नई बसों को नहीं खरीद सका। दिल्ली में बढ़ते पॉल्यूशन के चलते सुप्रीम कोर्ट और एनजीटी के निर्देश पर दिल्ली सरकार की ओर से अन्य राज्यों से पहुंचने वाली बीएस-4 की गाडिय़ों पर पांबदी लगाई है।

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